पुरातत्व सर्वेक्षण ने बोर्ड लगाया और भूल गया
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से थेहड़ के पास संरक्षित स्मारक का बोर्ड लगा हुआ है। इसमें यहां भूमि के साथ किसी तरह की छेडख़ानी करने पर ऐतराज जताते हुए जुर्माना भी निर्धारित किया गया है। ग्रामीणों की माने तो गांव में थेहड की सुरक्षा के लिए भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण की ओर से चौकीदार रखा हुआ है। लेकिन यहां कभी दिखाई नहीं दिया।पूर्व में निकले थे सभ्यता के अवशेष
जानकारी के अनुसार पूर्व में गांव रंगमहल के थेहड़ में खुदाई व बरसाती मौसम में प्राचीन सभ्यता के अवशेष जमीन से बाहर आए थे। थेहड़ की सुरक्षा व सार संभाल नहीं होने की वजह से ग्रामीण यहां से बर्तन, मूर्तियां, ताबेनुमा सिक्के,चूडिय़ा आदि सामान घरों में ले गए। ग्रामीणों ने बताया कि प्राचीन थेहड़ की सार संभाल व सरंक्षण के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से इसे ऐतिहासिक धरोहर के रूप में विकसित किया जाए तो इस क्षेत्र का विकास होगा तथा बड़ी संख्या में पर्यटक भी आएगे। यह भी पढ़े… खुले में शराब पीने-पिलाने वालों की पुलिस ने की धरपकड़
तालाब भी है ऐतिहासिक
जानकारी के अनुसार यहां स्थित तालाब सिंधू घाटी सभ्यता के काल का है। जिसका तल ताम्र का बना हुआ तथा तीन और सवा फीट बाई एक फीट चौड़ी ईंटों से बना हुआ है। उत्तर दिशा में घग्घर नदी का बहाव होने कारण खुला रखा गया। यहां से करीब एक किलोमीटर दूरी पर लाखा बनजारा का विशाल शीशमहल हुआ करता था और उसके महल से इस तालाब तक सुरंग हुआ करती थीए जिसमें से होकर लाखा बनजारा के घोड़े यहां पानी पीने आते थे। अंग्रेजों द्वारा इस महल के लिए खुदाई करवाई गई मगर उन्हें कामयाबी नहीं मिली। इसी तरह तालाब की तह तक जाने का प्रयास किया गया, मगर तल तक नहीं पहुंचा जा सका। 52 सीढिय़ों तक खोजे जाने के प्रमाण मिलते हैं। आज भी इन सीढिय़ों व विशालकाय ईंटे जो सिंधू सभ्यता की कहानी कहती है। प्राचीन थेहड़ व तालाब की खुदाई कार्य करके इसे आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाना चाहिए। यह भी पढ़े… South Korea Plane Crash: लैंडिंग के दौरान क्रैश हुआ प्लेन और बना आग का गोला, कई लोगों की मौत