राजस्थान में बिजली के उत्पादन केंद्र सूरतगढ़ सुपर थर्मल को लेकर बड़ी खबर है। एक तरफ जहां प्रदेश में विद्युत की मांग को बढ़ते हुए देखा जा रहा है वहीं सूरतगढ़ सुपर थर्मल की पांच इकाइयां बंद होने की खबर है। प्रदेश की सबसे बड़ी तापीय विद्युुत परियोजना एवं क्षेत्र में इंजीनियरिंग का गौरव कहलाने वाली सूरतगढ़ सुपर तापीय विद्युत परियोजना का अस्तित्व खतरे में है। सूरतगढ़ सुपर थर्मल की पांच इकाइयां एक वर्ष तक बंद रहेगी। इस संबंध में राजस्थान ऊर्जा विकास निगम ने उत्पादन निगम सीएमडी को अनुशंसा पत्र भी लिखा है।
सूरतगढ़ सुपर थर्मल पॉवर स्टेशन के 1250 मेगावाट हिस्से का कोयला अन्यत्र स्थानांतरित करने से परियोजना की 250-250 मेगावाट क्षमता की पांच इकाइयां बन्द हो जाएंगी। इस
संबंध में हाल ही में राजस्थान ऊर्जा विकास निगम ने उत्पादन निगम के अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक को पत्र लिखकर 1500 मेगावाट क्षमता की सूरतगढ़ तापीय परियोजना के 1250 मेगावाट क्षमता का कोयला मिनिस्ट्री ऑफ पॉवर के निर्देशानुसार अन्यत्र स्थानांतरित करने की बात कही है।
संबंध में हाल ही में राजस्थान ऊर्जा विकास निगम ने उत्पादन निगम के अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक को पत्र लिखकर 1500 मेगावाट क्षमता की सूरतगढ़ तापीय परियोजना के 1250 मेगावाट क्षमता का कोयला मिनिस्ट्री ऑफ पॉवर के निर्देशानुसार अन्यत्र स्थानांतरित करने की बात कही है।
ऊर्जा मंत्रालय ने थर्मल पॉवर बंद करने के निर्देश दिए हैं। मंत्रालय के निर्देश अनुसार इकाईयां नवम्बर से अगले वर्ष अक्टूबर तक यानि पूरे एक साल तक बंद रहेगी। थर्मल पावर इकाई बंद होने से हजारो लोगो का रोजगार भी प्रभावित होगा साथ ही राजस्थान में विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में भी कमी आएगी।
सुपर थर्मल की पांच इकाइयां बंद होने के दौरान विद्युत सप्लाई का पूरा प्रोजेक्ट निश्चित रूप से प्रभावित होगा। सूरतगढ़ थर्मल इकाई बंद होने से इसका 1250 MW क्षमता का कोयला भी अन्य परियोजनाओं को स्थानांतरित होगा।
ऐसे में कोयले की कमी के कारण इकाईयो का विद्युत उत्पादन प्रभावित होने से इन्हें बंद होना बताया जा रहा है। आपको बता दें कि उत्पादन कर रही पांचो इकाइयों से बिजली उत्पादन के लिए रोजाना पांच कोयले के रैक की खपत की आवश्यकता होती है। चूंकि सूरतगढ़ तापीय परियोजना की कोयला खदानों से दूरी करीब 1000 किलोमीटर है। इस लिहाज से इस परियोजना में कोयला ट्रांसपोर्टेशन महंगा पड़ता है। इस कमी के चलते परियोजना प्रशासन में पहले से ही चिंता बढऩे लगी थी। जिसके बाद अब इस परियोजना को एक साल के लिए पूरी तरह से बंद कर दिया है। थर्मल इकाइयों के बंद होने से हजारों व्यक्तियों का रोजगार प्रभावित होगा और राजस्थान में बिजली की कमी का असर होना भी देखा जा सकता है।