पत्रिका ने जिला आबकारी अधिकारी सहित शहर के पांचों थानाधिकारियों और सीओ सिटी को टटोला। सभी के जवाब हैरत करने वाले थे।
•Jan 04, 2018 / 09:27 am•
pawan uppal
श्रीगंगानगर. पत्रिका ने जिला आबकारी अधिकारी सहित शहर के पांचों थानाधिकारियों और सीओ सिटी को टटोला। सभी के जवाब हैरत करने वाले थे। सबसे गैर जिम्मेदाराना बयान आबकारी अधिकारी का रहा। आठ बजे बाद गश्त करवाने या चैकिंग के बजाय शिकायत मिलने पर कार्रवाई की बात कहकर उन्होंने पल्ला झाड़ लिया, वहीं कोतवाली और जवाहरनगर थाना प्रभारी ने ठेके बंद करवाने का जिम्मा आबकारी विभाग का बताया।
श्रीगंगानगर. आबकारी व पुलिस के क्षेत्राधिकार का मामला बताकर हमेशा इस मामले में बचने की कोशिश की जाती रही है। आबकारी विभाग ने लक्ष्य के चक्कर में आंखें मूंद रखी हैं और पुलिस ने क्षेत्राधिकार के नाम पर। ऐसे में बड़ा सवाल यह भी इस इस मनमर्जी पर अंकुश कौन सा विभाग लगाएगा?
श्रीगंगानगर. पत्रिका टीम ने रात आठ बजे के बाद सर्द मौसम में शहर के विभिन्न थानों क्षेत्रों का जायजा लिया तो वाकई पुलिस व आबकारी विभाग की गुप्त छूट का लाभ उठाने में कोई पीछे नहीं था। देर रात तक शराब बेचने वालों पर पिछले साल तक कार्रवाई करने वाली पुलिस भी इस बार नियमों के फेर में उलझी है।
श्रीगंगानगर. पुलिस व आबकारी की गुप्त छूट का लाभ शराब ठेकेदार जमकर उठा रहे हैं। उनमें किसी तरह भय या खौफ भी दिखाई नहीं देता। बड़ी बात तो यह है कि इस खेल में कोई एक दो नहीं बल्कि सभी थाना क्षेत्र की शराब दुकानें शामिल हैं।
श्रीगंगानगर. अब तो हर ठेके के पास एक रेहड़ी भी तैयार मिलती है। मतलब सुरा प्रेमियों को शराब के साथ नमकीन आदि की व्यवस्था भी मौके पर ही उपलब्ध होती है। रात आठ बजे के बाद दिखावे के नाम पर दुकानों के शटर जरूर गिरते हैं, लेकिन देर रात ठेकों के सामने खड़ी रेहडिय़ां उनके खुले होने की चुगली करती हैं।
श्रीगंगानगर. श्रीगंगानगर शहर व जिले में शराब निर्धारित कीमत से ज्यादा पर बिकती है और शराब ठेकों के बंद होने के निर्धारित समय रात्रि आठ बजे के बाद भी देर रात तक बिकती है। बिलकुल बेरोक-टोक। यह बात दीगर है कि कोई चोरी छिपे बेचता है तो कोई बिलकुल बेधड़क होकर, लेकिन बिकती जरूर है।
श्रीगंगानगर. कार्रवाई के नाम पर शुरू में दो चार छोटी मोटी कार्रवाई भी हुई, लेकिन साथ ही मंथली लेने के आरोप में खाकी भी दागदार हुई। पुलिसकर्मी मंथली लेकर निर्धारित कीमत से ज्यादा पर शराब बेचने तथा देर तक बिक्री करने की एवज में शराब ठेकेदारों से घूस लेने के आरोप में रंगे हाथों पकड़े गए। बावजूद इसके शराब आज भी उसी अंदाज में बिक रही है। ऐसे में आशंका बलवती है कि बिना शह या मिलीभगत के यह सब कैसे हो सकता है?
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