इससे जल वितरण में पारदर्शिता आएगी, वहीं किसान घर बैठे अपने मोबाइल फोन पर अपनी और अपने चक के सभी काश्तकारों की पानी की बारी देख सकेगा। पानी की बारी में मनमर्जी से बदलाव की प्रवृत्ति पर भी बाराबंदी ऑनलाइन होने से अंकुश लगेगा। वर्तमान में आबियाना वसूली जल उपयोक्ता संगम अध्यक्ष की ओर से रखे गए वाटरमैन कर रहे हैं। ऑनलाइन होने के बाद किसान सीधे ही आबियाना जमा करवा सकेंगे।
श्रीगंगानगर जिले में नहरी तंत्र किसानों को सुपुर्द करने के बाद नहरों का रखरखाव और बाराबंदी तथा आबियाना वसूली का काम जल उपयोक्ता संगम अध्यक्षों को दे दिया गया। जल संसाधन विभाग का बाराबंदीस और आबियाना वसूली के काम में कोई हस्तक्षेप नहीं रहा। अध्यक्ष ही बारी का समय तय कर पर्चियों का वितरण करवाता है और आबियाना वसूली करता है।
… इसलिए लिया गया बाराबंदी ऑनलाइन करने का निर्णय
बाराबंदी में गड़बड़ी की शिकायतें जिला कलक्टर, जल संसाधन विभाग के अधीक्षण अभियंता और मुख्यमंत्री संपर्क पोर्टल पर होने के कारण बाराबंदी ऑनलाइन करने का निर्णय किया गया। तत्कालीन जिला कलक्टर लोकबंधु ने राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (निक) श्रीगंगानगर के माध्यम से डिजिटल बाराबंदी सिस्टम तैयार करवाया, जिसे जल संसाधन विभाग अंतिम रूप देने का काम कर रहा है। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (निक) श्रीगंगानगर ने बाराबंदी का काम ऑनलाइन कर हमें सौंप दिया है। विभाग के अधिकारी और कर्मचारी इसे अंतिम रूप देेने में जुटे हैं। बाराबंदी 15 अक्टूबर से लागू होती है। जिला कलक्टर के साथ शीघ्र ही बैठक कर इसे लागू करने का प्रयास रहेगा। – धीरज चावला, अधीक्षण अभियंता, जल संसाधन श्रीगंगानगर वृत
आबियाना वसूली जोड़ेंगे
बाराबंदी ऑनलाइन होने के बाद आबियाना वसूली को भी इसके साथ जोड़ दिया जाएगा। इससे यह पता चलेगा कि किस किसान से कितना आबियाना वसूल करना है और किस किसान की तरफ कितना आबियाना बकाया है। अभी आबियाना वसूली का काम मैन्यूअल हो रहा है। वसूली की जिम्मेदारी जल उपयोक्ता संगम अध्यक्षों को सौंपी हुई है, लेकिन आबियाना की वसूली सही नहीं हो रही। किसानों की तरफ आबियाना का करोड़ों रुपए बकाया पड़ा है। इसकी वसूली के लिए जल संसाधन विभाग को बार-बार सूचना जारी करनी पड़ रही है।बाराबंदी ऑनलाइन करने के फायदे
जल वितरण में पारदर्शिता: चक के सभी किसानों को उनकी भूमि के अनुसार पानी की बारी बांधने में पारदर्शिता आएगी। अध्यक्ष किसी किसान को अतिरिक्त समय का लाभ नहीं दे पाएगा। किसान की जितनी भूमि होगी उतना ही पानी मिलेगा। मनमर्जी से बदलाव नहीं: अध्यक्ष किसी किसान की बारी में मनमर्जी से बदलाव नहीं कर पाएंगे। पानी की बारी नियमानुसार बांधी जाएगी। बाराबंदी ऑनलाइन होने के कारण किसान के साथ-साथ जल संसाधन विभाग की इस पर नजर रहेगी।
सीसीए में एकरूपता आएगी: वर्तमान में अध्यक्ष की ओर से की जा रही बाराबंदी और जल संसाधन विभाग के रिकॉर्ड में सीसीए में एकरूपता नहीं है। बाराबंदी ऑनलाइन होने से इसमें एकरूपता आएगी। अंतर होने पर उसका कारण तलाश कर उसे दूर किया जाएगा।