डिप्टी सीएमएचओ डॉ. करण आर्य ने बताया कि फील्ड में लगातार सोर्स रिडक्शन के साथ एंटी लार्वा कार्रवाई करवाई जा रही है। फोगिंग के केमिकल से फायदे के बजाए नुकसान हो सकते हैं। गाइडलाइन के अनुसार, डेंगू पॉजिटिव मिलने पर ही फोगिंग करवाने के निर्देश है। डेंगू की पुष्टि एलाइजा जांच के जरिए ही हो सकती है।
कार्ड टेस्ट में पॉजीटिव, एलाइजा टेस्ट में नेगेटिव
श्रीगंगानगर में इन दिनों हड्डी तोड़ बुखार का प्रकोप है। हर दूसरे घर में लोग इस बुखार की चपेट में हैं। राहत की बात है कि दवा लेने पर तीन से चार दिन में बुखार तो ठीक हो जा रहा है, लेकिन एक बार वायरल की चपेट में आने के बाद शरीर के जोड़ों में इतना अधिक दर्द होता है कि पैदल चलना तक दुश्वार हो रहा है। चिकित्सकों की मानें तो बुखार से पीड़ित हर तीसरा व्यक्ति कार्ड टेस्ट की जांच में डेंगू पॉजिटिव आ रहा है। इस बार बुखार के सारे लक्षण डेंगू की तरह हैं लेकिन जांच करने पर मरीज एलाइजा जांच में डेंगू पॉजिटिव नहीं आ रहा है। लम्बे समय तक खांसी और बलगम जमा होने की शिकायत को लेकर मरीज दोबारा पहुंच रहे हैं।
चिकित्सकों का कहना है कि इस बार थर्मामीटर में तो बुखार नहीं आ रहा है लेकिन शरीर में ऐंठन और दर्द की शिकायत आ रही है। यही कारण है कि बुखार ठीक होने के बाद कम से कम एक माह से अधिक का समय मरीज की दिनचर्या सामान्य होने में लग रहा है।
रोजाना एप के जरिए हो रही रिपोर्टिंग
चिकित्सा विभाग के अनुसार, मौसमी बीमारियों के प्रकोप की रोकथाम के लिए रोजाना एप के जरिए रिपोर्टिंग की जा रही है। मॉनिटरिंग के लिए जिला स्तर से नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं जो शहरी स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी के साथ प्रभावित क्षेत्रों में क्रॉस वेरिफिकेशन कर रहे हैं लेकिन चिकित्सा विभाग की नजर अब मौसम में ठंडक घुलने पर यह वायरल बुखार ज्यादा हो रहा है। इधर, आशा और एएनएम पॉजिटिव केसेज वाले रोगियों के घर के आसपास 50 घरों में सोर्स रिडक्शन, एंटी लार्वा और एंटी एडल्ट एक्टिविटी कर रिपोर्ट कर रहे हैं। पायरेथ्रम और टेमीफोस का स्प्रे, एमएलओ छिडक़ाव और लार्वा नष्ट करने का कार्य धीमा है।