बहनों को भी राखी बांधने के एवज में साडि़यां, सूट, नकदी और गिफ्ट आईटम देने के लिए उनके भाईयों ने दरियादिली दिखाई। वहीं बच्चों को भी अपने कार्टून पात्रों की राखियां हाथ बांधने का मौका मिला। इस बार अपने भाई की फोटो वाली राखियां आकर्षक का केन्द्र रही।
इन राखियों पर भाई की लेमीनेशन फोटो लगाकर राखियां सजाई हुई थी। इसके साथ साथ महिलाओं की चूडि़यों पर लूबिंया बांधने के लिए उनकी ननदों ने रस्म अदायगी की। मुंह मिठा करवा कर राखी बांधने का दौर शहर से लेकर गांव गांव ढाणी ढाणी तक चला। इलाके के एक छोर से दूसरे छोर तक महिलाओं और बच्चों को पहुंचाने के लिए टैम्पों चालकों ने मनमर्जी का किराया भी वसूला।
मजबूरीवश इस किराये का भुगतान भी किया गया। महिलाओं के इस त्यौहार के कारण बाजार में सन्नाटा पसरा रहा। दुकानदारों ने रविवारीय अवकाश के बावजूद दुकानें खोली। त्यौहारी सीजन होने के कारण बाजार अब रविवार को भी खुलने लगा है।
ग्राहकी नहीं होने के कारण अधिकांश दुकानों में चहल पहल नहीं रही। यही स्थिति पार्को की रही। यहां सामान्य दिनों में अधिक भीड़ रहती है लेकिन रविवार शाम को इन पार्को में वे ही लोग आए जो नियमित रूप से सैर करते है। इधर, पुलिस थानों में भी सुबह से लेकर शाम तक सन्नाटा रहा। महिला पुलिस कर्मियों ने भी समय निकालकर अपने भाईयों के राखी बांधी।
इस त्यौहार पर अपने भाईयों और भतीजों को राखी बांधने के बाद मुंह मीठा कराने के लिए महिलाओं ने मिठाईयों की जमकर खरीददारी की।मिठाई विक्रेताअेां ने इस त्यौहार पर विशेष रूप से घेवर, रस मलाई, रसभरी, कॉकनेट बर्फी, इमरती, राजभोग, रसगुल्ले, गुलाब जामुन, मिक्स भुजिया, सादा भुजिया आदि बिक्री के लिए बनवाए थे। वही ड्राईफ्रूट की भी खरीददारी भी हुई।