राजस्थान रोडवेज ने परिचालकों की कमी को पूरा करने और बेरोजगारों को रोजगार देने के उद्देश्य से बस सारथी योजना फिर से शुरू करने की घोषणा की है। यह योजना एक जुलाई से शुरू होगी और रोडवेज के श्रीगंगानगर आगार में 30 परिचालकों को अनुबंध के आधार पर रखा जाएगा। बस सारथी अर्थात् एजेन्टों को इस बार 11 हजार रुपये मासिक मानदेय और मनपंसद रूट भी दिया जाएगा।
रोडवेज के मुख्य प्रबंधक मनोज बंसल ने बताया कि श्रीगंगानगर आगार में इस समय परिचालकों के लगभग 30 पद खाली है और इन सभी पदों पर सारथी योजना के तहत अनुबंध पर कंडक्टर लगाने की स्वीकृति मुख्यालय से मिली है। सारथी बनने के लिए आवेदक का 10वीं पास और उसकी आयु 18 से 55 वर्ष होनी जरूरी है। आवेदक के पास परिचालक का लाइसेंस भी होना चाहिए। योजना के तहत सारथी बनने के लिए वे किसी भी डिपो में आवेदन कर सकता है।
योजना के तहत सारथी को रूट ठेके पर देकर जिम्मेदारी तय की जाएगी। पूर्व में जो घाटे वाले रूट एजेन्टों को संचालन के लिए दिए जाते थे, अब उसमें कुछ यात्री भार वाले रूट भी एजेन्टों को दिए जाएंगे। पूर्व में बस सारथी को 8100 रुपये प्रतिमाह प्रोत्साहन राशि दी जा रही थी, जो अब बढ़ाकर 11000 रुपये प्रतिमाह कर दी गई है। सारथी को देय टारगेट में 5 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। इस योजना से रोडवेज को दोहरा फायदा होगा।
पहला रोडवेज में जो स्टाफ की कमी चल रही है, उसमें उसे सारथी/एजेन्ट के रूप में एक कंडक्टर मिल जाएगी। उसे कंडक्टर के मुकाबले आधा वेतन प्रोत्साहन राशि के रूप में देना पड़ेगा। दूसरा प्रत्येक रूट पर निश्चित आए अर्थात् यात्री भार मिलना शुरू हो जाएगा। अनुबंध पर लगने वाले सारथी यात्री को टिकट जारी करते हुए राजस्व को तय समय पर डिपो में जमा करवाएंगे। सारथी से एक निश्चित राशि भी रोडवेज जमा करवाएगी, जो गारंटी के रूप में होगी।