जबकि अन्य कोटे बंद रहेगी। वही सूरतगढ़ करणपुर घड़साना अनूपगढ़ रायसिंहनगर में भी दो दो अदालतें भी खुलेगी। अदालतों में कामकाज सुबह साढ़े आठ बजे से लेकर दोपहर साढ़े बारह बजे तक रहेगा। इधर, बार संघ के पूर्व सचिव जिन्द्रपाल सिंह भाटिया जौली का कहना है कि पूरे देश में लॉक डाउन से राहत मिली है लेकिन अदालती कामकाज पहले जैसा है। अकेले श्रीगंगानगर जिले में करीब ५६ हजार से अधिक लंबित प्रकरण है। एेसे में इन लंबित प्रकरणों का निस्तारण नियमित सुनवाई से निस्तारण हो पाएगा लेकिन नियमित सुनवाई की प्रक्रिया अभी तक राजस्थान उच्च न्यायालय ने शुरू नहीं की है। वहीं अधिवक्ता मनिन्दर सिंह जाखड़ का कहना है कि इस लॉक डाउन में महिला पीडि़तों को निर्धारित समय में न्याय नहीं मिल रहा है। भरण पोषण भत्ता नहीं मिलने से एेसी पीडि़त महिलाओं का घर चलाना मुश्किल हो गया है।
एेसी पीडि़त महिलाओं की मदद करने के लिए सरकार की कोई योजना भी नहीं है। उच्च न्यायालय प्रशासन को एेसी महिलाओं के लिए आर्थिक मदद के लिए संबंधित अदालतों के माध्यम से निर्धारित समय में भरण पोषण का भत्ता दिलाना चाहिए ताकि वे अपने परिवार का खर्चा उठा सके।
उधर, अधिवक्ता अमित श्रीवास्तव का कहना है कि देरी से मिला न्याय, न्याय नहीं होता है। इस पहलू को ध्यान में रखकर भरण पोषण अधिनियम से संबंधित प्रकरणों के लिए विशेष कोर्ट खुले ताकि संबंधित पीडित महिलाओं को उनको हक मिल सके।
वहीं अधिवक्ता समीर मुदगल का कहना है कि सजा देना या नहीं देना कोर्ट में साक्ष्य के बाद ही निर्धारित हो सकेगा लेकिन महिलाओं को भरणपोषण का खर्चा तो समय पर दिया जाना चाहिए, इसके लिए कोर्ट में एक सप्ताह में दो दिन का विशेष कैम्प लगाना चाहिए।