इसमें चांडक जीतकर सभापति बनी। पिछले एक साल से भाजपाई पार्षद सशक्त विपक्ष की भूमिका निभाने में सफल नहीं हो पा रहे है। यश सर की पॉलिसी के कारण सत्ता पक्ष के खेमे में चले गए है। भाजपा के अधिकांश पार्षद सभापति खेमे की एक कॉल पर पाला बदलने को तैयार है। आए दिन सत्ता पक्ष की ओर से होने वाले कार्यक्रमों या अन्य जगहों पर भाजपाई पार्षद की उपस्थिति नजर आती है। यही वजह है कि सभापति के खेमे में करीब सौलह भाजपा पार्षद पार्टी बदलने को तैयार बैठे है।
चौबीस घंटे पहले सभापति ने आयुक्त के समक्ष शक्ति प्रदर्शन के लिए पार्षदों को तत्काल बुलाया तो कुल 32 में से16 पार्षद तो भाजपाई थे। पिछले एक साल से पार्टी विरोधी गतिविधियों की शिकायतें हाइकमान के पास पहुंची है।
इन पर एक्शन करने का हश्र यही रहा तो अगले साल तक नगर परिषद बोर्ड में भाजपाई पार्षदों की संख्या एकाएक कम हो जाएगी। इधर, भाजपा के दिग्गजों का कहना है कि नगर परिषद में सबसे बड़े दल के रूप में भाजपा उभर कर आई लेकिन पार्षद व्यक्तिगत स्वार्थो के कारण विपक्ष की बजाय सत्ता पक्ष का समर्थन करने लगे है।
यही हाल रहा तो शहर में पार्टी का बिखराव नजर आएगा। जिन जिन पदाधिकारियों ने पार्षदों के लिए टिकट दिलवाकर गांरटी ली थी वे पदाधिकारी अब बैकफुट पर चले गए है। इन दिग्गजों का मानना है कि विपक्ष के रूप में भाजपाई पार्षद एकजुट हो जाएं तो सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आ सकता है। लेकिन सत्ता पक्ष इस एकजुटता में सेंध लगा चुका है।
एेेसे में यह महज शफूगा बनकर रह गया है। इस बीच भाजपा जिलाध्यक्ष आत्माराम तरड़ ने स्वीकार किया कि कई पार्षद पार्टी की गाइड लाइन के विपरीत चल रहे है। पहले पांच पार्षदों की शिकायतें आई थी जिनको पदाधिकारियों के बीच बचाव और माफी मांगने के कारण एक्शन नहीं लिया। लेकिन अब हाइकमान सख्त एक्शन के मूड में है।
उन्होंने संबंधित पार्षदों की रिपोर्ट भी मांगी है। तरड़ की माने तो जनहित के मुद्दे पर पार्टी किसी भी सभापति के साथ लेकिन सत्ता पक्ष का सदस्य बनने से परहेज करने की बकायदा गाइड लाइन जारी की हुई है। अब कोई पार्षद पाटी की गाइड लाइन के विपरीत कदम उठता है तो हाइकमान एक्शन लेने से परहेज नहीं करेगी।