श्रीगंगानगर.कपास की फसल में गुलाबी-सुंडी का प्रकोप जगह-जगह देखा जा रहा है। कृषि विभाग के कृषि पर्यवेक्षक से लेकर उच्चाधिकारी तक गुलाबी-सुंडी के प्रकोप पर नियंत्रण व प्रबंधन पर खरीफ सीजन के शुरू से ही पूरी ताकत लगा रखी है। साथ ही कृषि विभाग ने गुलाबी-सुंडी नियंत्रण के लिए एडवाइजरी जारी कर रखी है। ग्राम पंचायत,ब्लॉक व जिला स्तर पर किसान गोष्ठियां की जा रही हैं। कृषि विभाग श्रीगंगानगर खंड के अतिरिक्त निदेशक (कृषि) विस्तार डॉ.सतीश कुमार शर्मा की टीम ने मंगलवार को श्रीगंगानगर व श्रीकरणपुर तहसील क्षेत्र के साहिबसिंहवाला, 20 जैड, 17 जैड़, 20 ओ, 13 व 14 एफएफ, 47 एफएफ व 49 एफएफ आदि गांवों में बीटी कपास के खेतों का निरीक्षण किया। बारिश होने की वजह से कपास की फसल अच्छी है लेकिन बीटी कपास की फसल में गुलाबी-सुंडी का जगह-जगह प्रकोप देखा गया। टीम ने बीटी कपास के एक-एक पौधे के टिंडे को देखा तो इनमें गुलाबी-सुंडी का प्रजनन पाया गया। किसान बलदेव सिंह व मनजीत सिंह ने भी कपास की फसल में पौधों के टिंडों में गुलाबी सुंडी देखी। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि गुलाबी-सुंडी का प्रकोप मिल रहा है। निरीक्षण टीम में कृषि विभाग के अतिरिक्त निदेशक डॉ.शर्मा के अलावा सहायक निदेशक श्रीगंगानगर सुशील कुमार शर्मा,सहायक निदेशक सुरजीत कुमार,सहायक कृषि अधिकारी नरेश कुमार व राजेंद्र कुमार सहित व कृषि पर्यवेक्षक और किसान भी शामिल रहे। गुलाबी-सुंडी के बारे में किया जा रहा जागरूक कृषि विभाग के सहायक निदेशक सुरजीत सिंह ने बताया कि गुलाबी सुंडी कीट की पहचान,नुकसान पहुंचाने के तरीके, कीट के सक्रिय काल मध्य जुलाई से मध्य अक्टूबर,कीट के आर्थिक हानि स्तर (ईटीएल) व उसे ज्ञात करने के तरीकों तथा गुलाबी सुंडी के नियंत्रण के लिए नर पतंगों की जानकारी प्राप्त करने व उन्हें नष्ट करने में फेरोमोन ट्रेप के महत्व के बारे में किसानों को जानकारी दी जा रही है। डरा हुआ है किसान श्रीगंगानगर खंड में नकदी फसल बीटी कॉटन की इस बार 2,43,621 हेक्टेयर क्षेत्रफल में है। पिछले वर्ष गुलाबी-सुंडी का प्रकोप इतना अधिक था कि 20 से 90 प्रतिशत कपास की फसल बर्बाद हो गई। इस कारण कृषि विभाग व किसान शुरू से ही खौफ में है। इस कारण श्रीगंगानगर खंड (श्रीगंगानगर,हनुमानगढ़ व नवगठित अनूपगढ़)जिले में कपास की बुवाई 1 लाख 76 हजार 919 हेक्टेयर में कम हुई है।