रक्षा बंधन पर इस बहन के पास आता था। लेकिन अब वह स्मृतियां में शेष रह गया है। वीरपाल कौर बार बार यही सवाल खुद से कर रही है कि अब किसकी कलाई पर वह रक्षा सूत्र बांधेगी। वीरपाल कौर जैसी कई एेसी बहनें इलाके में है जिनके इकलौते भाई को कोरोना निगल गया था।
रक्षा बंधन पर्व पर भाई के इस दुनिया से जाने का गम में मिला यह जख्म फिर से मन को कुरेदने लगा है। पीलीबंगा के पास सहजीपुरा गांव निवासी श्रवण सिंह अपने सात बहनों का एक मात्र भाई था। वह अपनी बुजुर्ग मां सरजीत कौर को लेकर सबसे बड़ी बहन कुलविन्द्र कौर के पास मिलने गया था। वहां कोरोना की जांच कराई तो पॉजीटिव आई। अनूपगढ़ सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
लेकिन उसकी २५ मई २१ को तबीयत बिगड़ी तो चिकित्सकों ने उसे रैफर कर दिया लेकिन जैतसर पहुंचने से पहले ही उसने दम तोड़ दिया। परिजन उसे हनुमानगढ़ ले जाना चाहते थे।
श्रवण सिंह के पिता भोलासिंह व मां सरजीत कौर के बुढ़ापे का सहारा छीन गया है। श्रवण की दो बहनें कुलविन्द्र व जसवीर कौर रामसिंहपुर में, तीसरी अबोहर क्षेत्र में सिरमजीत कौर, चौथी बहन कुलदीप उर्फ कोड़ी बठिण्डा क्षेत्र गांव बाओ, पांचवीं दर्शनकौर और छठी परमजीत कौर पीलीबंगा और सातवीं बहन वीरपाल कौर श्रीगंगानगर के दौलतपुरा गांव में ब्याही हुई है।
खेती करने वाले महज ३९ वर्षीय श्रवण के दो बेटियां हरमनदीप कौर व लवप्रीत कौर और एक बेटा आकाशदीप सिंह है। उसी पत्नी प्रविन्द्र कौर नोहर की है। मृतक के परिजनों को अभी तक मुख्यमंत्री राहत कोष से कोई सहायता नहीं मिली है।
उसी बहन वीरपाल कौर का कहना है कि अनूपगढ़ सरकारी अस्पताल से अभी तक कोरोना से मृत्यु होने के संबंध में दस्तावेज भी परिजनों को उपलब्ध नहीं करवाए है, इस कारण सरकार की योजना से वंचित है।
इधर, तीन बहनों के माता पिता के गुजरने के बाद इकलौते भाई को भी कोरोना निगल गया। विवेकानंद कॉलोनी की वीना चौहान, पुरानी आबादी ताराचंद वाटिका क्षेत्र की रहने वाली मोहनीदेवी और उदाराम चौक निवासी सत्यदेवी का इकलौता भाई वेदप्रकाश कटारिया की कोरोना के कारण मृत्यु हो गई।
चौहान ने बताया उसके बचपन में ही पिता की मौत हो गई थी तब भाई ने ही बहनों को संभाला था। वीना ने कुछ अर्से पहले नरेश मंडल को धर्मभाई बनाया था उसकी भी आस्ट्रेलिया में मृत्यु हो गई। एेसा लग रहा है कि पूरा पीहर पक्ष ही खत्म हो गया है। रक्षाबंधन शब्द सुनते ही चौहान फफक पड़ी और बोली कि रक्षा बंधन त्यौहार पर भाई की अहम भूमिका होती है। जब भाई ही नहीं रहा तो किसे राखी बांधे।