श्री गंगानगर

मनरेगा: 100 दिन रोजगार उपलब्ध करवाने में राज्य में श्रीगंगानगर जिला 11 वां, जिले में सूरतगढ़ आठवें स्थान पर

सूरतगढ़. ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत 100 दिन तक ग्रामीण श्रमिक परिवारों को रोजगार उपलब्ध करवाने के मामले में राजस्थान बाड़मेर सबसे आगे है, यहां 18916 परिवारों को रोजगार मिला। इसके साथ ही श्रीगंगानगर 2413 ग्रामीण मजदूर परिवारों को मनरेगा के तहत रोजगार देकर राज्य में ग्यारहवें स्थान पर है,जबकि पड़ौसी जिला हनुमानगढ़ 1895 ग्रामीण मजदूर परिवारों को रोजगार उपलब्ध करवाकर 14 वें स्थान पर है। वही, अगर श्रीगंगानगर जिले में ब्लॉक स्तर की बात करें तो रायसिंहनगर 712 ग्रामीण मजदूर परिवारों को रोजगार उपलब्ध करवाकर प्रथम स्थान पर है, वही, सूरतगढ़ 108 परिवारों को मनरेगा में काम देकर आठवें स्थान पर है।

श्री गंगानगरDec 25, 2024 / 01:53 pm

Jitender ojha

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सूरतगढ़. ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत 100 दिन तक ग्रामीण श्रमिक परिवारों को रोजगार उपलब्ध करवाने के मामले में राजस्थान बाड़मेर सबसे आगे है, यहां 18916 परिवारों को रोजगार मिला। इसके साथ ही श्रीगंगानगर 2413 ग्रामीण मजदूर परिवारों को मनरेगा के तहत रोजगार देकर राज्य में ग्यारहवें स्थान पर है,जबकि पड़ौसी जिला हनुमानगढ़ 1895 ग्रामीण मजदूर परिवारों को रोजगार उपलब्ध करवाकर 14 वें स्थान पर है। वही, अगर श्रीगंगानगर जिले में ब्लॉक स्तर की बात करें तो रायसिंहनगर 712 ग्रामीण मजदूर परिवारों को रोजगार उपलब्ध करवाकर प्रथम स्थान पर है, वही, सूरतगढ़ 108 परिवारों को मनरेगा में काम देकर आठवें स्थान पर है। सूरतगढ़ पंचायत समिति की 49 ग्राम पंचायतों में मनरेगा के तहत व्यक्तिगत कार्य अधिक हुए हैं। 100 दिन तक परिवारों को रोजगार कम उपलब्ध होने का मुख्य कारण ग्राम पंचायतों से डिमांड कम आना है, वही, मनरेगा की बजाए ग्रामीण सीजन के समय खेतों में काम करना अधिक पंसद कर रहे हैं।
ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत ग्रामीण श्रमिक परिवारों को 100 दिन तक रोजगार उपलब्ध करवाया जा रहा है। इसमें खाळों के सुदृढ़ीकरण,प्रधानमंत्री आवास योजना,टांका, डिग्गी निर्माण सहित अन्य कार्य करवाएं जा रहे हैं। राजस्थान में 100 दिन तक रोजगार करवाने में सर्वाधिक बाड़मेर 18916 ग्रामीण मजदूर परिवारों से ग्रामीण क्षेत्र में काम करवाया। वर्तमान में बाड़मेर प्रथम स्थान पर है। वही, श्रीगंगानगर जिले के 2413 ग्रामीण मजदूर परिवारों को 100 से अधिक दिया। श्रीगंगानगर इस सूची में ग्यारहवें स्थान पर है। यहां श्रीगंगानगर जिले की बात की जाए तो रायसिंहनगर पंचायत समिति ने 712 ग्रामीण श्रमिक परिवारों को लाभान्वित किया। इस वजह से रायसिंहनगर प्रथम स्थान पर है। इसके बाद श्रीबिजयनगर पंचायत समिति ने 336 ग्रामीण मजदूर परिवारों को काम देकर दूसरा, पदमपुर 323 परिवारों के साथ तीसरे, अनपूगढ़ 287 परिवारों के साथ चौथे स्थान पर है। वही, घड़साना 211 ग्रामीण मजदूर परिवारों के साथ 5 वें, सादुलशहर 171 परिवारों के साथ 6वें, श्रीगंगानगर 165 परिवारों के साथ 7 वें, सूरतगढ़ 108 परिवारों के साथ 8 वें तथा करणपुर 100 ग्रामीण मजदूर परिवारों को रोजगार उपलब्ध करवाने पर 9 वें स्थान पर है।
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100 दिन तक पीपेरन, 99 दिन तक काम करवाने में हरदासवाली पंचायतें आगे

सूरतगढ़ पंचायत समिति मनरेगा कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार 41-50 दिन तक रोजगार 2399 ग्रामीण मजदूर परिवारों,51-60 दिन तक रोजगार1698 परिवारों,61-71 दिन तक 1147 परिवार,71-81 दिन तक 880, 81-91 दिन तक 1205 परिवार, 100 दिन तक 108 ग्रामीण श्रमिक परिवारों को रोजगार उपलब्ध करवाया गया। यहां सबसे खास बात यह है कि 100 दिन रोजगार उपलब्ध करवाने में 49 ग्राम पंचायतों में से 20 ग्राम पंचायतें ही खरी उतरी है। जबकि 19 ग्राम पंचायतों में किसी भी परिवार को 100 दिन रोजगार उपलब्ध नहीं हुआ। इसके तहत राजपुरा पीपेरन ने 17 ग्रामीण मजदूर परिवारों को रोजगार उपलब्ध करवाकर सबसे आगे है। वही,ग्राम पंचायत 2 एसडी 13 परिवार के साथ दूसरे, सरदारपुरा बीका 12 परिवार के साथ तीसरे,निरवाना 10 परिवार के साथ चौथे तथा ठेठार 10 परिवारों को रोजगार के साथ पांचवें स्थान पर है। वही, 81-99 दिन तक रोजगार उपलब्ध करवाने में ग्राम पंचायत हरदासवाली सबसे आगे है, यहां 182 परिवारों को काम मिला। जबकि रामसरा जाखड़ान में 155 परिवारों को रोजगार देकर दूसरे स्थान पर है। वही, राजपुरा पीपेरन व निरवाना ग्राम पंचायत ने 112-112 ग्रामीण मजदूर परिवारों को रोजगार उपलब्ध करवाया है।
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कम आ रही डिमांड, खेतों में व्यस्तता

पंचायत समिति मनरेगा शाखा प्रभारी सहायक विकास अधिकारी रामेश्वरलाल मंगलाव ने बताया कि ग्राम पंचायतों में डिमांड के अनुसार काम उपलब्ध करवाया जाता है। डिमांड कम आने की वजह से ग्रामीण मजदूर परिवारों को 100 दिन का काम कम मिला है। वही, मनरेगा श्रमिक भी सीजन के समय मनरेगा की बजाए खेतों में दिहाड़ी मजदूरी करना पंसद कर रहा है। ग्राम पंचायतों से को 100 दिन तक मजदूर परिवारों को काम उपलब्ध करवाने के लिए प्रेरित किया जाएगा।

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