श्रीगंगानगर.राजकीय जिला चिकित्सालय में मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना के तहत दवा वितरण केंद्रों की संख्या में कोई वृद्धि नहीं हुई है। यहां वर्तमान में छह दवा वितरण केंद्र हैं, जिनमें से ओपीडी पर पांच और एक आपातकालीन सेवाओं के लिए कार्यरत है। पिछले 12 वर्षों में दवाइयों और मरीजों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है, लेकिन दवा वितरण की सुविधाएं अपर्याप्त बनी हुई हैं। इस कारण रोगियों को बेहतर सुविधा के बजाए ‘दर्द’ ही मिल रहा है। बढ़ती मरीजों की संख्या वर्ष 2012 में जहां ओपीडी में प्रतिदिन औसतन 1500-1800 मरीज आते थे। वहीं अब यह संख्या 2200-2500 तक पहुंच गई है। विशेषकर सोमवार को यह आंकड़ा 3000 को पार कर जाता है। मरीजों की बढ़ती संख्या और दवाओं की उपलब्धता में इजाफे के बावजूद, दवा वितरण केंद्रों की संख्या स्थिर बनी हुई है। चिकित्सालय में कार्मिकों की कमी जिला चिकित्सालय में वर्ष 2012 में 10 फार्मासिस्ट कार्यरत थे, जो अब बढकऱ 11 हुए हैं। हालांकि, दो फार्मासिस्ट शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर काम कर रहे हैं। ऐसे में बढ़ते मरीजों के दबाव के बीच फार्मासिस्ट की संख्या कम करने का निर्णय लेकर सरकार ने अनुचित कदम उठाया है। राज्य सरकार के मानकों के अनुसार 120 मरीजों के लिए एक दवा वितरण केंद्र होना चाहिए, जबकि यहां औसतन 300-350 मरीजों का भार है। स्टाफ की कमी,बढ़ता अतिरिक्त बोझ फार्मासिस्ट कर्मियों का काम अत्यधिक बढ़ गया है। दवा वितरण केंद्रों पर मरीजों की लंबी लाइनें लगती हैं, जिससे मरीज परेशान होते हैं और फार्मासिस्टों की कार्यशैली पर सवाल उठाते हैं। इससे फार्मासिस्टों को मानसिक तनाव झेलना पड़ता है। एक्सपर्ट व्यू—- श्रीगंगानगर जिला चिकित्सालय में दवा वितरण व्यवस्था को सुधारा नहीं गया तो यह जिले के नागरिकों के लिए गंभीर समस्या बन सकती है। मरीजों की संख्या में वृद्धि और फार्मासिस्टों की कमी का परिणाम यह होगा कि रोगियों को दवा प्राप्त करने में और भी अधिक परेशानी होगी। –गुलशन छाबड़ा, प्रदेश सचिव राज. फार्मा. कर्मचारी संघ (एकीकृत), श्रीगंगानगर। उच्चाधिकारियों को अवगत करवाया राजकीय जिला चिकित्सालय में नए दवा वितरण केंद्र खोलने और फार्मासिस्टों के पद बढ़ाने के लिए फरवरी और सितंबर में उच्चाधिकारियों को लिखा गया था,लेकिन इस पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। चिकित्सालय में मरीजों को दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित कराने और उन्हें समय पर सेवा प्रदान करने के लिए अतिरिक्त डीडीसी की आवश्यकता है। -डॉ. दीपक मोंगा, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी, राजकीय जिला चिकित्सालय, श्रीगंगानगर।