यह खेल नया नहीं है। पिछले दो दशक से लगातार एेसा ही चल रहा है। अपने हक के पानी को लेने के लिए किसानों को धरना प्रदर्शन तक करने पड़ते है। यह पूरा इलाका कृषि पर निर्भर है। लेकिन पंजाब से गंगनहर में पानी की मात्रा बिजाई के इस सीजन में एकाएक कम हो जाती है।
पंजाब में भी इन दिनों चावल की खेती के लिए बिजाई का दौर चलता है। एेसे में पानी की खपत वहां भी अधिक है। राजस्थान और पंजाब के बीच हुए समझौते के अनुरुप तय किए गए हिस्से का पानी भी पूरा नहीं मिलता। करीब पांच सौ क्यूसेक पानी की मात्रा को लासेस में दिखाया जाता है।
जबकि यह पानी राजस्थान नहर से चुराया जाता है। इस बारे में पंजाब के अधिकारियेां से मिन्नते निकालनी पड़ती है। इस सीजन में यही खेल चल रहा है। दोनों प्रदेशों में कांग्रेस की सरकार सत्तारूढ़ है लेकिन सिंचाई पानी के मामले में पंजाब का दबदबा अधिक है।
इधर, जल संसाधन के अधीक्षण अभियन्ता धीरज चावला ने बताया कि गंगनहर प्रणाली का माह जुलाई-2021 में 2400 क्यूसेक शेयर जल निर्धारित है। निर्धारित शेयर से कम पानी प्राप्त होने पर काश्तकारों की पानी की बारियां प्रभावित होती है। खरीफ की फसल के नुकसान होने का अंदेशा बना है।
इस नुकसान से बचाने के लिए राजस्थान और पंजाब के उच्चाधिकारियों से वार्ता की गई है। उम्मीद है कि राज्य सरकार के उच्चतम स्तर पर किए गए प्रयासों के कारण गंगनहर प्रणाली को बीकानेर कैनाल मे जल आवक की मात्रा में सुधार होगा।
किसानों के महापड़ाव का असर महज चौबीस घंटे में देखने को मिला। जल संसाधन विभाग के अनुसार आरडी 45 (बालेवाला हैड) से बुधवार शाम को 2213 क्यूसेक की आपूर्ति हो रही थी जबकि किसानों के महापड़ाव से गुरुवार को इसमें परिवर्तन हो गया। यहां २२५२ क्यूसेक की पानी की आपूर्ति होने लगी।
इसी तरह बुधवार को खखां हैड पर 1598 क्यूसेक पानी मिल रहा था जो गुरुवार को बढ़कर १६२८ क्यूसेक तक पहुंच गया।
इधर, जिला कलक्टर जाकिर हुसैन ने भी स्वीकारा कि किसान जब आंदोलन के लिए जिला मुख्यालय आते है तो नहरों में सिंचाई पानी की मात्रा बढ़ती है।
इधर, जिला कलक्टर जाकिर हुसैन ने भी स्वीकारा कि किसान जब आंदोलन के लिए जिला मुख्यालय आते है तो नहरों में सिंचाई पानी की मात्रा बढ़ती है।
जल संसाधन विभाग खुद बीमार है। इस कारण यह समस्या आ रही है। पंजाब से राजस्थान की नहरों में पानी कम आ रहा है। इस कारण किसानों में नाराजगी है। लेकिन जल संसाधन विभाग और पुलिस के अधिकारियों के साथ किसान संगठनों की वार्ता हुई है। नहरों में सिंचाई पानी के संबंध में गहनता से चर्चा हुई है। पानी चोरी करने वालों की धरपकड़ कराई जाएगी। अब पानी की उपलब्धता के लिए सामूहिक प्रयास करेंगे।