पोलिंग को लेकर रहा उत्साह
इस बार पोलिंग को लेकर उत्साह नजर आया। बार संघ सभागार में दो पोलिंग बूथ बनाए गए। पहले बूथ पर वरिष्ठ अधिवक्ताओं के साढ़े तीन सौ वोट और दूसरे बूथ पर जूनियर अधिवक्ताओं के 578 वोटों की व्यवस्था की गई। सुबह दस बजे से शाम चार बजे तक कुल 928 में से 860 वोट पोल हुए।
झगड़े की आंशका पर पुलिस जाब्ता
इस चुनाव में झगड़े की आंशका को देखते हुए पुलिस जाब्ता तैनात किया गया। कोतवाली सीआई पृथ्वीपाल सिंह की अगुवाई में पुलिस दल पोलिंग और मतगणना के उपरांत तैनात रहा। इस चुनाव की पोलिंग के दौरान गंगासिंह चौक से लेकर पुलिस अधीक्षक ऑफिस तक वाहनों की आवाजाही रोक दी गई। दोनों छोर पर बैरीकेट़स लगाकर पुलिस कर्मिकों को लगाया गया।
साढ़े 23 साल बाद मिला भादू को बहुमत
बार संघ में वर्ष 2001 के चुनाव में जसवंत सिंह भादू और जितेन्द्र किनरा के बीच भी कांटेदार मुकाबला हुआ था तब दोनोें प्रत्याशियों को बराबर वोट मिले थे। ऐसे में हार जीत का निर्णय करने के लिए तत्कालीन वयोवृद्ध वरिष्ठ अधिवक्ता केशोराम गर्ग को उनके घर से मतगणना स्थल पर बुलाया गया। गर्ग ने संविधान में बराबरी वोट मिलने पर टॉस या पर्ची सिस्टम नहीं होने का हवाला देते हुए दोनों को छह-छह माह की अध्यक्षी की अनुशंषा की तो चुनाव अधिकारी कैप्टन राजेन्द्र सिंह ने यह निर्णय किया। इस दौरान टॉस इस पहलू के लिए हुआ कि पहले छह माह अध्यक्षी कौन करेगा तब भादू के पक्ष में निर्णय आया तो उन्होंने पहले छह माह तक अध्यक्षी की। बार संघ के इतिहास में यह रोचक और कांटेदार मुकाबला नजर आया था। इस बार भादू फिर से अध्यक्ष पद के लिए मैदान में उतरे तब समीकरण बदलने लगे। इस बार भादू को कांटेदार मुकाबले के बावजूद बहुमत मिला और जीत दर्ज कर ली।
हारी बाजी को जीत में बदला
बार संघ में इस बार करीब पांच सौ अधिवक्ताओं के वोटों की काटने के बाद कशमकश का माहौल था। ऐसे में वरिष्ठ अधिवक्ता भादू के पक्ष में बार काउसिंल के पूर्व अध्यक्ष नवरंग चौधरी, बार संघ के पूर्व अध्यक्ष रहे राजन कुक्कड़, विजय रेवाड़, सीताराम बिश्नोई, वरिष्ठ अधिवक्ता ईसर सिंह ने फील्डिंग सजाई थी। इस बार भादू को कांटेदार मुकाबले के बावजूद बहुमत मिला और जीत दर्ज कर ली।