डॉक्टरों के पास इन दिनों ऐसे फोन कॉल आ रहे हैं। ट्रू कॉलर पर सेना की वर्दी पहने व्यक्ति का फोटो देखकर डॉक्टर को यही लगता है कि फोन करने वाला सेना का कोई अधिकारी होगा। अभी दो दिन पहले श्रीगंगानगर के एक वरिष्ठ चिकित्सक के पास ऐसा ही फोन आया। ट्रू कॉलर पर सेना के अधिकारी की फोटो देखकर डॉक्टर ने फोन रिसीव किया तो सामने वाले ने खुद को सेना का अधिकारी बताते हुए जवानों के कान की जांच करवाने की बात कही। जब उसने फीस का भुगतान पेटीएम से करने का कह कर यूपीआई नंबर मांगा तो डॉक्टर को शक हो गया और उन्होंने तत्काल फोन काट दिया।
साल डेढ़ साल पहले शहर के एक स्टेशनरी विक्रेता और कंबल विक्रेता से बीएसएफ के अधिकारी के नाम से ठगी हुई थी। स्टेशनरी विक्रेता और कंबल विक्रेता को किसी ठग ने खुद को बीएसएफ का अधिकारी बताते हुए स्टेशनरी और कंबल का ऑर्डर दे दिया। दोनों दुकानदार सेना और बीएसएफ को सामान की आपूर्ति करते थे सो ठग के झांसे में आ गए। ठग ने नियम का हवाला देकर दोनों से बिल की राशि एक खाते में जमा करवा ली और हफ्ते भर में सामान की आपूर्ति कर अपनी-अपनी राशि के चेक ले लेने का कहा। ठगी का पता चलने पर दुकानदारों ने कोतवाली में मुकदमा दर्ज करवाया लेकिन ठग का आज तक पता नहीं लगा।
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श्रीगंगानगर सदर थाने में एक व्यक्ति ने टेलीग्राम पर होटल बुकिंग कराने पर कमीशन का झांसा देकर परिवादी को अपने जाल में फंसा लिया और राशि लगवाकर 16.73 लाख रुपए हड़प लिए। जांच अधिकारी एसआई हंसराज ने बताया कि नेहरा नगर निवासी बनवारीलाल पुत्र गोपीराम ने रिपोर्ट दर्ज कराई है कि राजवीर व कुलदीप वगैरह ने 22 जनवरी को टेलीग्राम पर उसको मैसेज भेजकर होटल बुकिंग में कमीशन देने का लालच दिया। पहले आरोपियों ने होटल बुक करवाकर आठ सौ रुपए उसके खाते में डाल दिए। इसके बाद दूसरे कार्य में रुपया लगवाते रहे और जब परिवादी ने मोटे कमीशन के चक्कर में आरोपियों के झांसे में आकर करीब 16.73 लाख रुपए लगा दिए। इसके बाद आरोपियों ने खाते में कमीशन का पैसा डालना बंद कर दिया। बार-बार फोन व मैसेज करने पर कोई जवाब नहीं दिया। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की है।
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डॉक्टरों के साथ सेना के नाम पर ठगी करने वाला गिरोह साल भर पहले भी सक्रिय हुआ था। उस समय ठगी के शिकार होने से बचे शहर के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. धर्मेश गर्ग को ऐसे ही किसी ठग का फोन आया था। ट्रू कॉलर में तब भी सेना की वर्दी पहने व्यक्ति की फोटो दिखी थी। डॉ. गर्ग ने बताया कि उस व्यक्ति ने आर्मी स्कूल के बच्चों के चेकअप के बारे में बात करते हुए पेटीएम से भुगतान करने की बात कही थी। डॉ. गर्ग ने तब अपना यूपीआई नंबर देने के बजाय अपने हॉस्पिटल के एक कर्मचारी का यूपीआई नंबर दे दिया। उस कर्मचारी के खाते में राशि जमा होने के बजाय कम हुई तो ठगी पकड़ में आ गई। ठग बड़ी चपत लगाता, उससे पहले ही कर्मचारी ने अपना फोन काट दिया। डॉ. गर्ग ने ऐसा कोई फोन आने पर बात नहीं करने की सलाह अन्य डॉक्टरों को दी है।