जिला मुख्यालय पर पोक्सो कोर्ट संख्या दो के खुलने के बाद पहली बार निर्णय सुनाया गया है। विशिष्ट लोक अभियोजक नवप्रीत कौर संधू ने बताया कि घड़साना थाने में 7 फरवरी 2013 को पीडि़ता के पिता की ओर से एफआईआर दर्ज कराई गई थी।
इसमें पीडि़ता के पिता का कहना था कि उसकी नाबालिग लड़की को चक 3 एसटीआर निवासी सुभाष पुत्र लालचंद वाल्मीकि उस समय जबरदस्ती उठा ले गया जब उसकी लड़की लघुशंका करने के लिए घर से बाहर निकली थी।
उसके शोर मचाने के बावजूद सुभाष ने उसकी लड़की को नहीं छोड़ा। इसके बाद उसके फोन पर सुभाष ने धमकी दी कि अगर बीस हजार रुपए की राशि नहीं दी तो लड़की सही सलामत नहीं आएगी। इस संबंध में उसने पुलिस थाने के अलावा जिला प्रशासन के अधिकारियों को भी अवगत कराया।
पुलिस ने आरोपी सुभाष के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू की। पुलिस ने अपहरण की गई लड़की को आरोपी सुभाष के कब्जे से छुड़ाया। इस आरोपी के दो सहयोगियों वीरूराम और पूनिया उर्फ पवन कुमार को गिरफ्तार किया। मेडिकल जांच के बाद अदालत में पीडि़ता सहित दस जनों ने अपने बयान दर्ज कराए।
विशिष्ट लोक अभियोजक ने बताया कि अदालत ने मुख्य आरोपी सुभाष वाल्मीकि को विभिन्न धाराओं में दोषी माना। अदालत ने इस दोषी को आईपीसी की धारा 363 व धारा 366 में तीन-तीन साल कठोर कारावास और तीन-तीन हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।
विशिष्ट लोक अभियोजक ने बताया कि अदालत ने मुख्य आरोपी सुभाष वाल्मीकि को विभिन्न धाराओं में दोषी माना। अदालत ने इस दोषी को आईपीसी की धारा 363 व धारा 366 में तीन-तीन साल कठोर कारावास और तीन-तीन हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई।
जुर्माना अदा नहीं करने पर एक एक माह का अतिरिक्त कारावास भुगताना होगा। इसी तरह पोक्सों एक्ट की धारा 3-4 में आठ साल कठोर कारावास व दस हजार रुपए का जुर्माना लगाया। जुर्माना निर्धारित समय अवधि में जमा नहीं कराने पर तीन माह का अतिरिक्त कारावास भुगताना होगा। शेष दोनों आरोपियों में से वीरूराम को बरी कर दिया जबकि पवन उर्फ पूनियां फरार होने के कारण उसका प्रकरण लंबित रखा गया है।