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सहायक आचार्य नरेन्द्र कौर ने बताया कि आमजन को चाहिए कि वित्तीय लेन-देन तथा मोबाइल की उपयोगिता को लेकर सावधानी बरतें। ओटीपी-पिन-सीवीवी नंबर सांझा न करें। नाम मोबाइल नंबर, जन्मतिथि को पासवर्ड न बनाएं। ऑनलाइन अकाउंट-नेट बैंङ्क्षकग के अल्फान्यूमेरिक स्पेशल कैरेक्टर के साथ जटिल पासवर्ड रखें। राजस्थान पत्रिका के इस अभियान से जागरूकता की अलख जगी है।
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सहायक आचार्य मनोज सुथार ने बताया कि साइबर अपराधों व ठगी से बचने का सबसे बड़ा रक्षात्मक उपाय है कि अपरिचित कॉल नहीं उठाएं। इसके लिए आप पहले उसकी पहचान करें। इसके अलावा अनजान लोगों के वीडियो कॉल भी नहीं उठाने चाहिए। साथ ही अनजान ङ्क्षलक पर क्लिक नहीं करें। ऐसा करने से साइबर अपराध से बचा जा सकता है। समस्या आने की स्थिति से पुलिस से भी सम्पर्क किया जा सकता है।
खुद को सचेत होना होगा
सहायक आचार्य सत्यप्रकाश पूनिया ने बताया कि साइबर अपराधों से बचने के लिए हमें खुद सचेत होना होगा। अनचाहे कॉल व मैसेज से बचना होगा। मोबाइल बैंकिंग का उपयोग करते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। ओटीपी व पासवर्ड किसी को भूल से भी नहीं दें, अन्यथा साइबर फ्रॉड का शिकार हो सकते हैं। पत्रिका का साइबर सुरक्षा को लेकर अभियान सराहनीय है।
खुद सचेत होकर करें जागरूक
सहायक आचार्य अमरजीत सिंह ने बताया कि साइबर अपराधों व ठगी से बचने के लिए सबसे पहला कदम है खुद सावचेत होना। साथ ही परिवार के प्रत्येक सदस्य व आस पडोस के लोगों को भी हमें साइबर काइम को लेकर जागरूक करना होगा। तभी साइबर ठगों के मकडज़ाल से बचना संभव है। ऑनलाइन लेनदेन व एटीएम उपयोग के दौरान विशेष सतर्कता बरती जानी चाहिए।