यह कार्य होने से अंतिम छोर तक के किसानों को सिंचाई के लिए पूरा पानी मिलेगा और प्रथम चरण में मुख्य नहर एवं चार वितरिकाओं के एक लाख हेक्टेयर सिंचित क्षेत्र को इसका लाभ मिलेगा। परियोजना का उद्देश्य गंगनहर प्रणाली में 1.09 लाख हेक्टेयर सीसीए के लिए अत्याधुनिक स्काडा आधारित ऑटोमेशन को लागू करना है।
इससे गंगनहर प्रणाली की विभिन्न नहरों की सिंचाई क्षमता 79 प्रतिशत से बढ़ाकर 86.5 प्रतिशत हो जाएगी। गंगनहर फीडर पर खखां हैड से डाबला हैड तक गंगकैनाल पर स्थापित सभी 32 क्रॉस रेगुलेटर एवं हैड रेगुलेटर का नवीनीकरण किया जाएगा। बैठक में केंद्रीय जल आयोग के चेयरमैन खुशविंदर बोहरा भी उपस्थित रहे। प्रदेश की ओर से मुख्य अभियंता भुवन भास्कर और हनुमानगढ़ के मुख्य अभियंता अमरजीत मेहरड़ा ने प्रस्तुतीकरण दिया।
गंगनहर ऑटोमेशन परियोजना के तहत श्रीगंगानगर में कंट्रोल रूम बनाया जाएगा। नहरों में पानी का हिसाब इसी कंट्रोल रूम में रहेगा। कौनसी नहर में कितना पानी चला है, इसका पूरा रिकॉर्ड कंट्रोल रूम में रहेगा। कंट्रोल रूम में हैडों का नियंत्रण रहेगा, जिससे सभी नहरों को पानी का समान वितरण होगा।
अभी वरीयताक्रम को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला चलता रहता है। किसान पानी के वितरण में भेदभाव का आरोप लगाते रहते हैं। वरीयताक्रम उप समिति की बैठक के दौरान प्रभावित किसान हंगामा भी करते हैं। वरीयताक्रम से छेड़छाड़ का आरोप तो आम ही है। गंगनहर के ऑटोमेशन का काम पूरा होने पर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला थमेगा और हर किसान को उसके हिस्से का पूरा पानी मिलेगा।
– गंगनहर ऑटोमेशन परियोजना के तहत गंगनहर फीडर के सभी गेट ऑटोमेटिक हो जाएंगे। अभी गेटों को खोलने और बंद करने का काम गेज रीडर करते हैं।
– गंगनहर की चार नहरों एफएफ, जीजी, जेड और बीबी के सभी मोघे हैड से टेल तक ऑटोमेटिक हो जाएंगे। कौनसा मोघा खुलना है और कौनसा बंद होना है, यह सब ऑटोमेटिक होगा।
– गंगनहर प्रणाली की नहरों और वितरिकाओं के सभी पुल नए बनेंगे। अभी कई पुल संकरे और जर्जर अवस्था में हैं।
– नहरों पर क्रॉस रेग्यूलेटर बनाए जाएंगे ताकि किसी नहर के टूटने पर पानी व्यर्थ नहीं जाए। इससे पानी का सदुपयोग होगा।
– पानी के डिस्चार्ज के लिए फ्लो मीटर लगाए जाएंगे।
– गंगनहर की चार नहरों एफएफ, जीजी, जेड और बीबी के सभी मोघे हैड से टेल तक ऑटोमेटिक हो जाएंगे। कौनसा मोघा खुलना है और कौनसा बंद होना है, यह सब ऑटोमेटिक होगा।
– गंगनहर प्रणाली की नहरों और वितरिकाओं के सभी पुल नए बनेंगे। अभी कई पुल संकरे और जर्जर अवस्था में हैं।
– नहरों पर क्रॉस रेग्यूलेटर बनाए जाएंगे ताकि किसी नहर के टूटने पर पानी व्यर्थ नहीं जाए। इससे पानी का सदुपयोग होगा।
– पानी के डिस्चार्ज के लिए फ्लो मीटर लगाए जाएंगे।