गंगनहर में इस बार बंदी नहीं होने से क्षेत्र में कपास का बिजान पिछले सालों के मुकाबले इस साल ज्यादा होने की उम्मीद है। अप्रेल का पूरा माह कपास बिजाई के लिए उपयुक्त है और नहरबंदी भी नहीं है। खेतों में सरसों, चना की कटाई होने के बाद खाली हुए खेतों में एक-एक सिंचाई भी हो चुकी है। क्षेत्र की मिट्टी को देखते हुए आरजी आठ और एचडी 123 दोनों किस्मों की किसान बिजाई कर सकते हैं।
ये किस्में है सही
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी को देखते हुए कपास की आरजी आठ और एचडी 123 दोनों किस्मों का बिजान किसान कर सकते हैं। दोनों ही किस्में उत्तरी भारत को देखते हुए तैयार की गई है। इनमें अधिक उत्पादन देने की क्षमता, रुई की गुणवत्ता अच्छी, एक-दो सिंचाई कम ज्यादा होने पर भी प्रभावित नहीं होने वाली किस्में है।
दोनों ही किस्मों का प्रति बीघा तीन किलो बीज उपयुक्त है। इसमें पंक्ति से पंक्ति की दूरी 67.50 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 30 सेंटीमीटर होनी चाहिए। सिंचाई के बाद बत्तर आने के बाद ही बिजाई करनी चाहिए। 13400 पौधे प्रति बीघा होने चाहिए।
सूक्ष्म पोषक तत्व है उपयोगी
कृषि वैज्ञानिक मिलंद सिंह के अनुसार पहली फसल को काटने के बाद कुछ दिन तक खेत को खाली छोडऩा चाहिए। साथ ही बिजाई करने से पूर्व मिट्टी की जांच आवश्यक रूप से करानी चाहिए। मिट्टी जांच के बाद आवश्यकता अनुसार सूक्ष्म पोषक तत्व का प्रयोग अवश्य करना चाहिए। इसके अलावा प्रति बीघा नाइट्रोजन साढ़े बाईस किलो और फास्फोरस पांच किलो इस्तेमाल करना उपयुक्त रहता है।
पहले पानी के बाद करें विरलीकरण
कपास में करीब एक माह बाद पहली सिंचाई करने के बाद पौधों का विरलीकरण करना चाहिए। इसमें प्रति बीघा 13400 पौधों से अधिक पौधों को उखाड़ देना चाहिए। इसमें किसानों को विशेष रूप से उन पौधों को उखाडऩा चाहिए जो कमजोर हो।