महेन्द्रसिंह शेखावत/ श्रीगंगानगर. फाजिल्का जिले का आसफवाला वार मैमोरियल पंजाब के सर्वश्रेष्ठ 50 स्मारकों में शामिल है। इस स्मारक की शुरुआत छोटे से स्तर पर हुई लेकिन कालांतर में इसका विकास व विस्तार होता गया। 1971 के भारत-पाक युद्ध में शहीद सैनिकों की सामूहिक अन्त्येष्टि के बाद फाजिल्का के लागों ने शहादत को चिर स्थायी बनाने के लिए यह स्मारक बनाने का निर्णय किया।
Video: शहादत व शौर्य की गाथा सुनाता है मंदिर इसके लिए वार मैमोरियल कमेटी का गठन किया गया। शुरुआत में 4 जाट रेजीमेंट के 82 जवानों की स्मृति में लगभग आधा एकड़ भूमि में शहीद के अंतिम संस्कार स्थल पर स्मारण निर्माण किया गया। इसमें क्षेत्रवासियों ने खूब सहयोग किया। पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैलसिंह जो कि उस वक्त पंजाब के मुख्यमंत्री थे, ने इस स्मारक का 22 सितम्बर 1972 को अनावरण किया था। इसके बाद 1991 में स्मारक का दायरा विस्तृत करने का निर्णय किया गया।
Video: यहां शहीद सैनिकों की आत्माएं करती हैं हिफाजत इसी के तहत 15 राजपूत व 3 असम रेजीमेंट के स्मृति स्तम्भ स्मारक परिसर में स्थापित किए गए। इसके बाद सीमा सुरक्षा बल तथा होमगार्ड के जवानों जिन्होंने इस युद्ध में शहादत दी थी कि स्मृति स्तंभ भी समाधि प्रांगण में बनाए गए। यही कारण रहा कि स्मारक अब पांच एकड़ भूमि के बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है। आसफवाला स्मारक के विकास, सौंदर्यकरण तथा रखरखाव का कार्य शहीदों की समाधि कमेटी, भारतीय सेना व प्रशासन के संयुक्त प्रयास से हो रहा है।
Video: मां-बहन को छोड़कर आ रहे युवक की नहर में गिरने से हुई मौत 2011 में यहां आए इनफैंटरी ब्रिगेड के तत्कालीन ब्रिगेडियर अरुल डेनिस ने इस स्मारक की प्रशंसा करते हुए कहा था कि पूर्व, पश्चिम, उत्तर दक्षिण में आसफवाला का स्मारक श्रेष्ठ है। फिलहाल क्षेत्रवासियों की भावना है कि आसफवाला के स्मारक को राष्ट्रीय स्मारक के रूप में मान्यता दी जाए।