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श्री गंगानगर

भूमि चयन में उलझा स्वीकृत फिकल सलज ट्रीटमेंट प्लांट, छह वर्ष बाद भी नहीं हुआ स्थापित

वर्ष 2018 में राज्य सरकार ने स्वीकृत की थी 1.04 करोड़ की राशि, प्लांट स्थापित करवाने के लिए नगरपालिका के प्रयास लगातार जारी

श्री गंगानगरApr 28, 2024 / 11:33 pm

Ajay bhahdur

वर्ष 2018 में राज्य सरकार ने स्वीकृत की थी 1.04 करोड़ की राशि

सादुलशहर. नगरपालिका, सादुलशहर का भवन।

आकाश अरोड़ा

सादुलशहर. राज्य सरकार ने करीब साढ़े छह वर्ष पूर्व सादुलशहर नगरपालिका को फिकल सलज ट्रीटमेंट प्लांट की सौगात दी थी, लेकिन यह फिकल सलज ट्रीटमेंट प्लांट (एफएसटीपी) आज तक स्थापित नहीं हुआ है, जिस कारण नगरपालिका क्षेत्र के सेप्टिक टैंकों की गंदगी खुले में डाली जा रही है, इससे लगातार बीमारियां फैल रही हैं।
उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार की ओर से वर्ष 2018 में फिकल सलज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए 1.04 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई थी। फिकल सलज ट्रीटमेंट प्लांट से सेप्टिक टैंक की गंदगी से खाद तैयार कर किसानों को बेचा जाना प्रस्तावित था। 2018 में राजस्थान में इस तरह के 100 प्लांट लगने थे, जिसके प्रथम फेज में 20 निकायों का चयन किया गया था, जिनमें सादुलशहर भी शामिल था। यह प्लांट नगरपालिका की चार बीघा भूमि में स्थापित किया जाना था। तत्कालीन नगरपालिका संचालन मण्डल ने इसकी स्वीकृति भी प्रदान कर दी थी, लेकिन अभी तक यह कार्य सिरे नहीं चढ़ सका है। भूमि चयन को लेकर फाइलें विभागों में दौड़ रही हैं। नगरपालिका अध्यक्ष कांता खीचड़ व इओ राकेश कुमार अरोड़ा प्लांट को स्थापित करवाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं।

आमजन का उस रास्ते से निकलना हो जाता है मुश्किल

गौरतलब है कि सेप्टिक टंैकों की गंदगी शहर के बाहरी क्षेत्रों में खुले में डाल दी जाती है, जिस कारण आसपास का वातावरण दूषित होता है तथा आमजन का उस रास्ते से निकलना दुर्भर हो जाता है। इस प्लांट के लगने से इस समस्या का समाधान भी होना था। इस प्लांट के स्थापित होने से सेप्टिक टंैक की गंदगी से खाद बनती व नगरपालिका के राजस्व में भी बढ़ोतरी होती। जहां सीवरेज लाइन नहीं डाली जा सकती, उन निकायों में यह प्लांट लगाने का निर्णय 2018 में राज्य सरकार ने लिया था। सादुलशहर में लगने वाला यह प्लांट मॉडल प्लांट के रूप में स्थापित होना था व जिसकी डीपीआर तैयार हो चुकी थी। इसके साथ राज्य सरकार की ओर से कम्पनी के साथ इसका एमओयू भी हो गया था। डीपीआर के तहत पालिका की ओर से एक टैंक लगा ट्रक क्रय किया जाना था, जो घर-घर जलबद्ध शौचालयों के सेप्टिक टैंक से गंदगी एकत्रित कर इस प्लांट में लाकर डालता। यह प्लांट पूर्णतया बायो तकनीक पर आधारित था व इससे बननी वाली खाद यूरिया से भी दोगुनी गुणवत्ता वाली होती। यह खाद मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाने में सहायक होती तथा इस प्लांट से वातावरण भी दूषित नहीं होता। यह प्लांट पर्यावरण के मानकों के अनुकूल था। इस प्लांट के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए सादुलशहर नगरपालिका के तत्कालीन अध्यक्ष विशन कुमार जिनांगल व अधिशासी अधिकारी सोहनलाल नायक ने बैंगलोर के देवनली तीन दिवसीय दौरा कर प्लांट के बारे में जानकारी प्राप्त की थी।

सम्भागीय अधीक्षण अभियंता को लिखा पत्र

राजस्थान पत्रिका ने इस सम्बंध में नगरपालिका अधिशासी अधिकारी राकेश कुमार अरोड़ा से जानकारी प्राप्त की तो उन्होंने बताया कि नगर परिषद्, श्रीगंगानगर के अधिशासी अभियंता महावीर प्रसाद गोदारा ने इस सम्बंध में नगर निगम, बीकानेर के सम्भागीय अधीक्षण अभियंता को एफएसटीपी प्लांट की भूमि परिवर्तन के सम्बंध में 23 अप्रेल, 2024 को अधीक्षण अभियंता के पत्र क्रमांक 891/16.04.2024 के प्रति उत्तर में विवरण दिया है कि नगरपालिका, सादुलशहर को चक 25 के.एस.डी., तहसील सादुलशहर में 8 बीघा कृषि भूमि का आवंटन ठोस अपशिष्ट के लिए प्रसंस्करण व अंतिम निस्तारण के लिए किया गया है। उक्त भूमि नगरीय सीमा से 8 किमी. की दूरी पर स्थित है। वर्तमान में उक्त प्लांट लगाने के लिए 35 गुणा 45 मीटर की भूमि की आवश्यकता है, जिसके लिए अधिशासी अधिकारी व सफाई निरीक्षक, नगरपालिका, सादुलशहर के साथ मौका निरीक्षण किया, जिसमें उपरोक्त वर्णित 8 बीघा भूमि में से 35 गुणा 45 मीटर भूमि एफएसटीपी प्लांट लगाने के लिए चिन्हित की गई है। इसी भूमि में ठोस कचरा प्रोसेङ्क्षसग प्रबंधन प्लांट भी स्थापित किया जाना प्रस्तावित है। नगरपालिका के पास इसके अतिरिक्त अन्य भूमि प्लांट की स्थापना के लिए उपलब्ध नहीं है।

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