तीन दिन पहले गुरुवार की रात करीब साढ़े बारह बजे प्री-मेच्योर बच्ची को कोई अज्ञात परिजन उसे राजकीय जिला चिकित्सालय के पालना गृह में लावारिस समझकर छोड़ गया था। सातवें महीने में जन्मी इस बच्ची के जन्म होते ही उसके साथ अपनी दुत्कार का दौर शुरू हो गया। चंद मिनटों बाद उसके परिजनों ने श्रीगंगानगर जिला चिकित्सालय के पालना में छोड़ा तो वह इस कड़कड़ाती ठंड में रोने लगी। उसकी आवाज स्टाफ कार्मिकों को सुनी तो उसे तत्काल शिशु गृह के आईसीयू में भर्ती कराया गया।
उसी रात जब चिकित्सालय के पीएमओ डॉ. दीपक मोंगा को सूचना मिली तो उन्होंने इस नवजात को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करने के लिए चिकित्सकों और नर्सिंग स्टाफ को सख्त निर्देश दिए। यहां तक कि इसकी देखभाल के लिए तीन पारियों में तीन महिला स्टाफ यशोदा की ड्यूटियां लगाई गई, लेकिन शनिवार देर रात करीब सवा एक बजे इस बच्ची ने अपनी अंतिम सांस ली।