जीत के बाद कोनेरू हंपी ने कहा, 37 साल की उम्र में विश्व चैंपियन बनना आसान नहीं है। जब आप उम्रदराज हो जाते हैं तो प्रेरणा बनाए रखना और जरूरत पड़ने पर तेज बने रहना काफी मुश्किल होता है। मुझे खुशी है कि मैंने यह कर दिखाया।
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उन्होंने कहा, मैं दूसरी बार यह टाइटल जीतकर बेहद खुश हूं। हालाकि मुझे इसकी बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी, क्योंकि मैं अपना पहला राउंड गेम हार गई थी। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं विश्व चैंपियन के रूप में टूर्नामेंट खत्म कर पाउंगी। यह जीत बहुत खास है। जब मैं अपने निचले स्तर पर होती हूं तो मुझे लगता है कि इसने मुझे लड़ने और शतरंज पर फिर से काम करने के लिए प्रेरित किया।ऐसा करने वाली दूसरी खिलाड़ी
चीन की जू वेनजुन के बाद अब भारत की नंबर एक महिला शतरंज खिलाड़ी कोनेरू हंपी एक से ज्यादा बार यह खिताब जीतने वाली दूसरी खिलाड़ी बन गई हैं। हालाकि वह यह उपलब्धि हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला शतंरज खिलाड़ी हैं। इस बीच, रुस के 18 वर्षीय वोलोडर मुर्जिन ने ओपन रैपिड जीतने वाले दूसरे सबसे कम उम्र के खिलाड़ी के रूप में इतिहास रच दिया है। कोनेरू की जीत 2024 में भारतीय शतरंज की शानदार सफलता में एक और उपलब्धि जोड़ती है। इससे पहले इस गर्मी में शतरंज ओलंपियाड में ओपन और महिला प्रतियोगिता दोनों में स्वर्ण पदक जीता था और डी गुकेश ने क्लासिकल शतरंज में विश्व चैंपियन का खिताब जीता था।
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