शुरुआती स्तर पर ही रोका जा रहा आगे बढ़ने से : मैकिंसे एंड कंपनी की वुमन इन द वर्कप्लेस रिपोर्ट के अनुसार कंपनियां शीर्ष पदों पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए प्रयास कर रही हैं। अमरीका और कनाडा की कंपनियों पर हुए सर्वे में पाया गया कि शुरुआती स्तर की पदोन्नति में लैंगिक असमानता को दूर किए बिना यह संभव नहीं। जिसका अर्थ है कि एक विशिष्ट कंपनी में प्रबंधक स्तर के 60 फीसदी पदों पर सिर्फ पुरुष ही नियुक्त किए जाते हैं। पुरुषों की संख्या महिलाओं से काफी अधिक है, इसलिए वरिष्ठ प्रबंधकों के पद पर पदोन्नति के लिए महिलाओं की संख्या कम है और प्रत्येक अगले स्तर पर यह घटती चली जाती है।
अक्सर इनके फैसलों पर खड़े होते हैं सवाल: महिलाओं के लिए कार्यस्थल पर तरक्की आसान नहीं क्योंकि अक्सर उनके फैसलों पर सवाल खड़े किए जाते हैं, कोई उनके आइडियाज का क्रेडिट ले लेता है, कई बार जूनियर समझ लिया जाता है तो कभी किसी मीटिंग या चर्चा में उन्हें बार-बार बोलने से रोका जाता है। वहीं कई बार उनके अपीयरेंस को लेकर भी टिप्पणियां की जाती हैं। ऐसे में अक्सर महिलाएं अपने लुक को बदलने का प्रेशर महसूस करती हैं।
अधिक रेकॉर्ड स्तर पर कर रहीं काम: महिलाएं कोरोना महामारी से पहले की तुलना में अब काम को लेकर ज्यादा महत्त्वकांक्षी हैं। लगभग 80 फीसदी ने कहा कि वे पदोन्नति चाहती हैं। जबकि 2019 में यह आंकड़ा 70 प्रतिशत था। इसके पीछे काम में फ्लैक्सिब्लिटी ने भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। रिमोट वर्किंग से महिलाएं पहले से भी अधिक रेकॉर्ड स्तर पर काम कर रही हैं। वे ज्यादा स्किल्ड और प्रोडक्टिव हैं। रिमोट या हाइब्रिड वर्किंग उन्हें अपीयरेंस जैसी चुनौतियों से भी बचाती हैं और वे अपने काम पर ज्यादा फोकस करती हैं।
विश्व स्तर पर श्रमबल में भागीदारी