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गर्मी से तपते यूरोप को अब आइसक्रीम का सहारा

2022 में लगभग 25 करोड़ किलो आइसक्रीम यूरोपीय संघ के बाहर निर्यात भी की गई। हालांकि यह पूर्व के आंकड़ों की तुलना में दो फीसदी कम है। उत्पादन में वृद्धि के बावजूद निर्यात के आंकड़ों में कमी संकेत देती है कि यूरोपीय लोग गर्मी से राहत पाने के लिए आइसक्रीम का सहारा लेे रहे हैं।

Aug 24, 2023 / 11:15 am

Kiran Kaur

गर्मी से तपते यूरोप को अब आइसक्रीम का सहारा

नई दिल्ली। यूरोप में बढ़ता तापमान कहर बरसा रहा है। आने वाले दिनों में इसके और भी बढ़ने की आशंका है। इस प्रचंड गर्मी से राहत के लिए यूरोपीय नागरिक अब पहले से कहीं ज्यादा आइसक्रीम खाने लगे हैं। जिससे आइसक्रीम का उत्पादन और खपत दोनों बढ़ गई हैं। यूरोस्टेट के आंकड़ों के मुताबिक यूरोपीय देशों ने पिछले साल 3.2 अरब लीटर आइसक्रीम का उत्पादन किया, जिसकी कीमत लगभग 54 हजार करोड़ रुपए थी। यह उत्पादन 2021 के मुकाबले पांच फीसदी अधिक है। 2022 में लगभग 25 करोड़ किलो आइसक्रीम यूरोपीय संघ के बाहर निर्यात भी की गई। हालांकि यह पूर्व के आंकड़ों की तुलना में दो फीसदी कम है। उत्पादन में वृद्धि के बावजूद निर्यात के आंकड़ों में कमी संकेत देती है कि यूरोपीय लोग गर्मी से राहत पाने के लिए आइसक्रीम का सहारा लेे रहे हैं।
डेयरी तकनीक में सुधार से बढ़ा चलन:

शोध फर्म रिसर्च एंड मार्केट्स के अनुसार आइसक्रीम की खपत में वृद्धि यूरोप के तेजी से शहरीकरण और डेयरी तकनीक में सुधार का परिणाम है। यूरोप में आइक्रीम का उत्पादन करने वाले प्रमुख देश जर्मनी, फ्रांस और इटली हैं। इनमें भी फ्रांस और इटली के मुकाबले जर्मनी में आइसक्रीम सस्ती(136 रु प्रति लीटर) मिलती है। वहीं सबसे महंगी आइसक्रीम ऑस्ट्रिया में मिलती है। जहां प्रति लीटर औसतन कीमत 634 रुपए है। गैर यूरोपीय देशों को आइसक्रीम निर्यात के मामले में फ्रांस, नीदरलैंड्स, इटली और जर्मनी प्रमुख हैं।
1990 के दशक से अमरीका में घटी रुचि:

बेल्जियम के लोग प्रति व्यक्ति सालाना 16 किलो से अधिक आइसक्रीम खरीदते हैं, जो यूरोप में सबसे अधिक है। इसके बाद पुर्तगाल और पोलैंड की प्रति व्यक्ति खरीद क्रमश: 14.18 और 13.6 किलो के करीब है। वहीं अमरीका में आइसक्रीम की दीवानगी घटी है। अमरीकी कृषि विभाग के अनुसार नियमित डेयरी आइसक्रीम की खपत सालों से घट रही है। 1986 में एक अमरीकी औसतन सालाना लगभग आठ किलो आइसक्रीम खाता था। 2021 तक यह आंकड़ा पांच किलो ही रह गया। स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव को लेकर 1990 के दशक के बाद से यहां के लोग आइसक्रीम को कम पसंद करने लगे और यह किसी खास मौके की ट्रीट बनकर रह गई।
भारत और चीन में लगातार बढ़ रहा कारोबार:

एशियाई देशों को भी आइसक्रीम पसंद है। 99 फीसदी चीन के लोग गर्मियों में आइसक्रीम खाना पसंद करते हैं जबकि 27 फीसदी रोजाना आइसक्रीम खाते हैं। चीनी अब सर्दियों में भी आइसक्रीम खाने लगे हैं। विभिन्न स्वादों की विस्तृत श्रृंखला, पुरानी यादों वाली मार्केटिंग ने यहां खपत को बढ़ाया है। जापान में 2015 के बाद से सर्दियों में भी आइसक्रीम खाने का चलन बढ़ा है। भारत ने 2020 में 20 करोड़ लीटर से अधिक आइसक्रीम का उत्पादन किया। यह 2015 के बाद से महत्वपूर्ण वृद्धि थी। पिछले साल भारतीय आइसक्रीम मार्केट का आकार 194 अरब रुपए था जिसके पांच सालों में 508 अरब रुपए तक पहुंचने की संभावना है। कोरोना महामारी के बाद से भारत में उपभोक्ता तेजी से प्रीमियम और उच्च गुणवत्ता वाले विकल्पों में रुचि ले रहे हैं और अधिक कीमत चुकाने के लिए भी तैयार रहते हैं।

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