बेवफाई ओर वर्जित रिश्तों पर होती हैं कविताएं
मरम अकेलेपन और हताशा के साथ-साथ शारीरिक आकर्षण, बेवफाई, विवाहेतर संबंधों जैसी वर्जनाओं को अपनी कविता की विषय वस्तु बनाती हैं। फिलहाल पेरिस में रहती हैं।सोशल मीडिया पर डालती हैं अपनी बोल्ड तस्वीरें
मरम अल-मसरी इन दिनों पैरिस में रहती हैं। उनके सोशल मीडिया अकाउंट उनकी साहित्यिक गतिविधियों की सूचनाओं और उनकी अपनी बोल्ड तस्वीरें से पटा पड़ा है। जिस कार्यक्रम में भी जाती हैं, वहां की तस्वीर अपने सोशल मीडिया अकाउंअ पर खुद पोस्ट करती हैं।मरम अल-मसरी की कविताएं
बाहर अंधेरे मेंमैं ठिठुर रही हूं ठंड से।
तुम/ खोलते क्यूं नहीं मेरी खातिर
अपनी कमीज का दरवाजा ?
:: :: :: लड़की ने मांगा था लड़के से
एक ख्वाब
मगर उसने एक हकीकत पेश की उसे।
तब से ही/ उसने पाया खुद को
एक दुखियारी मां।
:: :: :: कैसी बेवकूफी:
जब भी मेरा दिल
सुनता है कोई खटखटाहट
ये खोल देता है अपने दरवाज़े।
:: :: :: एक पत्नी लौटती है
अपने घर को / एक पुरुष की गंध के साथ।
वह नहाती है/ इत्र छिड़कती है,
मगर कसैली ही बनी रहती है,
पछतावे की गंध।
:: :: ::
जब भी मेरा दिल
सुनता है कोई खटखटाहट
ये खोल देता है अपने दरवाज़े।
:: :: :: एक पत्नी लौटती है
अपने घर को / एक पुरुष की गंध के साथ।
वह नहाती है/ इत्र छिड़कती है,
मगर कसैली ही बनी रहती है,
पछतावे की गंध।
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आईने में झांका मैंने
और देखा
एक स्त्री / संतोष से भरी
चमकीली आंखों /और मीठी शरारत वाली, और मुझे उससे जलन होने लगी। :: :: ::
नमक के कणों की तरह
वे चमके/ और गल गए।
इस तरह गायब हुए / वे मर्द
और देखा
एक स्त्री / संतोष से भरी
चमकीली आंखों /और मीठी शरारत वाली, और मुझे उससे जलन होने लगी। :: :: ::
नमक के कणों की तरह
वे चमके/ और गल गए।
इस तरह गायब हुए / वे मर्द
जिन्होनें मुझे प्यार नहीं किया। :: :: :: मैं जा रही थी
सीधे/ जब तुमने रोक लिया मेरा रास्ता।
ठोकर तो लगी /मगर
गिरी नहीं मैं।
सीधे/ जब तुमने रोक लिया मेरा रास्ता।
ठोकर तो लगी /मगर
गिरी नहीं मैं।