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रासायनिक खेती के दुष्परिणाम बताए, प्राकृतिक पर दिया जोर

कृषि विज्ञान केन्द्र पर केन्द्र की 31 वीं वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष प्रो हरीश वर्मा ने वर्ष 2024-25 की वार्षिक कार्य योजना पर चर्चा कर सुझाव मांगे।

बूंदीJul 24, 2024 / 07:58 pm

पंकज जोशी

बूंदी. वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक में मौजूद कृषि वैज्ञानिक।

बूंदी. कृषि विज्ञान केन्द्र पर केन्द्र की 31 वीं वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष प्रो हरीश वर्मा ने वर्ष 2024-25 की वार्षिक कार्य योजना पर चर्चा कर सुझाव मांगे। इस दौरान पशुपालन वैज्ञानिक डॉ घनश्याम मीणा एवं इंदिरा यादव उद्यान वैज्ञानिक ने अपने विषयों से संबंधित वार्षिक प्रगति प्रतिवेदन भी प्रस्तुत किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कृषि विश्वविद्यालय, कोटा के निदेशक अनुसंधान प्रो प्रताप सिंह धाकड़ एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. एस. के. जैन ने की।
निदेशक अनुसंधान प्रो प्रताप सिंह धाकड़ ने सबोधित करते हुए कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्र में पहले की अपेक्षा अधिक परिवर्तन हो रहे हैं और कृषकों को नवीनतम तकनीकी और जानकारियों से अवगत कराया जा रहा है। जिले में धान का रकबा अधिक होने के कारण पानी की उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए सीधी बुआई पद्धति को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रेरित किया जाए। लघु सीमान्त कृषकों के लिए समन्वित कृषि प्रणाली को विकसित करने के लिए एक मॉडल कृषि विज्ञान केन्द्र पर स्थापित किया जाए। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में रासायनिक खेती के दुष्परिणाम को ध्यान में रखते हुए प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाए। किसान उत्पादक संघ एवं गैर सरकारी संस्थाओं से मिल-जुल कर कार्य करें और सहभागिता से बीज उत्पादन को बढ़ावा दे।
निदेशक, प्रसार शिक्षा डॉ एस. के. जैन, ने कहा कि वैज्ञानिक सलाहकार समिति का आयोजन वार्षिक महोत्सव के रुप में होता है। इसलिए केन्द्र की मुय गतिविधियों एवं मूल उद्देश्यों को समिलित कर केन्द्र के सभी वैज्ञानिकों को अपनी कार्य योजना प्रस्तुत करनी चाहिए। कृषि विज्ञान केन्द्र की नर्सरी को राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड से पंजीयन करवाने के लिए कहा। दुर्गालाल मौर्य, उपनिदेशक सब्जी उत्कृष्टता केन्द्र, बून्दी ने सुझाव दिया कि केन्द्र के रिक्त पदों को को भरा जाए एवं केन्द्र के आधुनिकीकरण पर जोर दिया।अधिष्ठाता, कृषि महाविद्यालय, हिण्डोली डॉ. एन.एल. मीणा ने कहा कि सीड हब इकाई से अधिक आय अर्जित करने के लिए किसानों की सहभागिता से बीज उत्पादन को बढ़ाया जाए।
प्रगतिशील कृषक सोभागमल मीणा ने बताया कि जिले में बकरी पालन का अच्छी संभावना है। सिरोही नस्ल के अलावा अन्य उन्नत नस्ल सोजत, करौली, गुजरी के बकरों का कृत्रिम गर्भाधान के लिए सीमन की उपलब्धता जिले में करवाई जाए। बैठक में कृषि विज्ञान केन्द्रों के अनेक वरिष्ठ वैज्ञानिक मौजूद रहे।
अतिथियों द्वारा केन्द्र द्वारा तैयार ‘‘स्वच्छता की ओर एक पहल’’ फोल्डर का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम के समापन पर केन्द्र के पशुपालन वैज्ञानिक डॉ. घनश्याम मीना ने बैठक में आये सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया एवं दिये गये सुझावों पर अमल करने का आश्वासन दिया। कार्यक्रम के दौरान केन्द्र के तकनीकी सहायक महेन्द्र चौधरी, दीपक कुमार वरिष्ठ अध्येता अनुसंधान, चन्द्र प्रकाश श्रृंगी, लोकेश प्रजापत, विकास ताखर, दुर्गा सिंह सोलंकी, वीरेन्द्र वर्मा, रामप्रसाद गुर्जर ने सहयोग प्रदान किया।

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