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कायाकल्प की राह देख रहा 12 वर्ष से बंद पड़ा हथकरघा केंद्र, महीनों से प्रस्तावों पर हस्ताक्षर का इंतजार

हथकरघा केंद्र छतवई प्रारंभ करने के साथ कोतमा व अनूपपुर में खुलने हैं नए प्रशिक्षण केंद्र

शाहडोलNov 09, 2024 / 12:05 pm

Ramashankar mishra

शहडोल. 12 वर्ष से बंद पड़े हथकरघा केंद्र को पुन: प्रारंभ करने के दावे तो किए जा रहे हैं, लेकिन यह दावे प्रस्ताव तक ही सिमट कर रह गए हैं। वरिष्ठ अधिकारियों की अनुमति के लिए यह प्रस्ताव मुख्यालय में धूल फांक रहे हैं। इन्हे स्वीकृत कराने अब तक कोई प्रयास भी नहीं किए गए। इन प्रस्तावों में कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिलीप जायसवाल के क्षेत्र में दो प्रशिक्षण केंद्र प्रारंभ करने का प्रस्ताव भी शामिल हैं। इन्ही की पहल पर हथकरघा केंद्र छतवई को पुन: प्रारंभ करने व इसके विस्तार का प्रस्ताव तैयार किया गया था। इन प्रस्तावों को मंजूरी मिलती है तो हथकरघा केंद्र के प्रारंभ होने से कई हाथों को रोजगार मिलेगा, साथ ही हस्तकला के क्षेत्र में युवाओं को प्रशिक्षित होने का अवसर प्राप्त होगा। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2012 के पहले तक हथकरघा केंद्र छतवई में 150 से ज्यादा लोग रोजगार से जुड़े थे, साथ ही 80 लोगों को यहां प्रशिक्षण प्राप्त होता था। इसके बंद होने के साथ ही पूर्व से प्रशिक्षित आदिवासी परिवारों के हाथ से रोजगार छूट गया, वहीं युवाओं को भी हस्तकला में निपुण होने का प्रशिक्षण बंद हो गया।

मलेशिया तक गई है यहां की बनी कालीन
हथकरघा केंद्र में हर माह 50-60 नग कालीन तैयार होती थी। यह कालीन स्थानीय स्तर के साथ ही दिल्ली, नोएडा, कोलकाता के साथ ही मलेशिया तक गई हैं। इसके अलावा विधानसभा में भी यहीं से तैयार कालीन बिछी है। हथकरघा केंद्र के लिए लगभग 6 एकड़ की भूमि आरक्षित है। शासन स्तर से इसके विस्तार को स्वीकृति मिलती है तो बड़े स्तर पर इसे विकसित किया जा सकता है।

तीन दशक पुराना है हथकरघा केंद्र
जानकारी के अनुसार यह हथकरघा केंद्र लगभग तीन दशक पुराना है। इसका शुभारंभ वर्ष 1988-89 में हुआ था। यहां छतवई, बरुका, मैकी, पटासी, निपनिया, नरवार, बिजौरी सहित अन्य क्षेत्र के 150 से अधिक लोगों को रोजगार के अवसर मिलते थे। यहां से प्रशिक्षित 60-70 लोग घर पर ही कालीन तैयार करने लगे थे। इसके अलावा हथकरघा केंद्र में भी प्रशिक्षण प्रदान कर युवाओं को तैयार किया जा रहा था। वर्ष 2012 में इसके बंद होने के साथ ही बैगा परिवारों के हाथों से रोजगार छिन गया, वहीं कालीन तैयार करने वाले प्रशिक्षत लोग भी बेरोजगार हो गए। इनमें से लेदरा व बरेली के एससी वर्ग के 80-90 परिवारों के यहां अभी भी कालीन निर्माण का पूरा सेटअप लगा हुआ है।

30 करोड़ का तैयार किया था प्रस्ताव, अब तक मंजूरी नहीं
तीन माह पूर्व हथकरघा केंद्र छतवई को पुन: प्रारंभ करने कार्ययोजना बनाई गईथी। इसके विस्तार व कायाकल्प के लिए लगभग 30 करोड़ का प्रस्ताव तैयार किया गया था। इसमें लगभग 200 युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान करने दो ट्रेनिंग हॉल, बाहर से आने वाले प्रशिक्षकों व अन्य लोगों के रुकने के लिए कमरे, मुख्य मार्ग में विपणन केंद्र के साथ ही अन्य कार्य कराए जाने थे। इसके अलावा अनूपपुर जिले के कोतमा व अनूपपुर में दो नए प्रशिक्षण केंद्र संचालित करने का भी प्रस्ताव शामिल है। इसे प्रस्ताव को तैयार हुए लगभग तीन माह से अधिक का समय बीत चुका है और अब तक न तो इसे मंजूरी मिली और न ही इस दिशा में कोई ठोस पहल ही की गई है।

कलेक्टर ने डीएमएफ मद से भेजा प्रस्ताव
कलेक्टर डॉ. केदार सिंह ने भी हथकरघा केंद्र के निरीक्षण के बाद इसे प्रारंभ करने पहल की थी। इसके कायाकल्प व आवश्यक निर्माण कार्य के लिए डीएमएफ मद से लगभग 40 लाख का प्रस्ताव तैयार कर मुख्यालय भेजा था। लगभग डेढ़ माह से यह प्रस्ताव भी आयुक्त के पास स्वीकृति के लिए रखा हुआ है। इसे भी अब तक मंजूरी नहीं मिली है। बताया जा रहा है कि डीएमएफ मद से प्रशिक्षण केंद्र के विधिवत संचालन, कारपेट धुलाई व अन्य व्यवस्थाएं बनाए जाने का प्रावधान है। प्रशिक्षण केंद्र में 80-80 लोगों को 5 वर्ष तक प्रशिक्षित करने के साथ ही रोजगार से जोडऩे की कार्ययोजना है।

इनका कहना है
हथकरघा केंद्र छतवई को प्रारंभ कराने के साथ ही इसे विकसित करने की कार्ययोजना है। इसके लिए प्रस्ताव तैयार कराया था। शीघ्र ही इसे स्वीकृत कराते हुए आगे की प्रक्रिया पूर्ण की जाएगी।
दिलीप जायसवाल, कुटीर एवं ग्रामोद्योग विभाग मंत्री (स्वतंत्र प्रभार)

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