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माता-पिता ने मेरे सपनों को समझा, नहीं तो मैं भी अपनी सहेलियों की तरह शूटिंग छोड़ चुकी होती: मनु भाकर

manu bhaker interview: आधी आबादी की सोच को लोगों तक पहुंचाने के लिए पत्रिका की पहल संडे वुमन गेस्ट एडिटर के तहत इस बार की गेस्ट एडिटर शूटिंग स्टार मनु भाकर हैं। आपने हाल में एशियन गेम्स में शूटिंग में देश को स्वर्ण पदक दिलाया है। आपको वर्ष 2020 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। आपका मानना है कि बेटियों पर पाबंदी लगाने के बजाय, उन्हें आगे बढ़ाना चाहिए। मनुभाकर से खास बातचीत और ऐसी अन्य महिलाओं की कहानियां, जिन्होंने अपनी पहचान बनाई।

Nov 03, 2023 / 03:54 pm

Jaya Sharma

माता-पिता ने मेरे सपनों को समझा, नहीं तो मैं भी अपनी सहेलियों की तरह शूटिंग छोड़ चुकी होती: मनु भाकर

मनु भाकर, संडे गेस्ट एडिटर
मैंने स्कूल से ही शूटिंग शुरू कर दी थी। मेरे साथ कई ऐसी सहेलियां थीं जो शूटिंग में बहुत अच्छा कर रही थीं, लेकिन उनके पैरेंट्स ने समाज के दबाव के आगे अपनी बेटियों को आगे बढऩे का मौका नहीं दिया। उन्होंने अपनी बेटियों के सपनों को खत्म कर दिया। मैं 21 साल की हूं और मेरी आधी से ज्यादा सहेलियों की शादी हो चुकी है। मैं भगवान की शुक्रगुजार हूं कि मेरे माता-पिता ने मेरे सपनों को समझा, ऐसा नहीं था कि उन पर कभी सोसायटी का दबाव नहीं रहा, लेकिन मेरी मां ने बहुत हिम्मत दिखाई। मुझ तक उन चीजों को कभी पहुंचने नहीं दिया जो मेरे सपनों के आड़े आने वाली थीं।
बस इच्छाशक्ति मजबूत होनी चाहिए
खेल में आप बेहतर करें, उसके लिए जरूरी है कि आप मानसिक व शारीरिक रूप से फिट रहें। इसमें भी परिवार का सहयोग अहम हो जाता है। जब परिवार की तरफ से आपको हर समय सहयोगात्मक वातावरण मिलता है तो खेल का प्रेशर आपको मानसिक रूप से परेशान नहीं करता। चाहे खेल हो या अन्य कोई क्षेत्र महिलाओं को यदि अपनी अलग पहचान बनानी है तो विल पावर को मजबूत अवश्य रखना होगा। क्योंकि आपकी इच्छा शक्ति ही हर परिस्थिति में आपको मजबूत से खड़े रहने का संबल प्रदान करती है।
व्यक्तित्व विकास भी जरूरी
शूटिंग में आने से पहले मैंने कई तरह के गेम्स में जाने का प्रयास किया। जब 16 वर्ष की थी तो शूटिंग में कॉमनवेल्थ गेम्स में देश को स्वर्ण पदक दिलाया। उसके बाद मेरे अंदर आत्मविश्वास बढ़ा और फिर पूरी तरह से शूटिंग पर फोकस्ड हो गई। मेरे कोच की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने न केवल मेरा गेम सुधारा बल्कि मेरा व्यक्तित्व विकास भी किया। उनसे मुझे कॉन्फिडेंस मिलता है। उनकी वजह से ही मैं अब बेहतर खिलाड़ी बन पाई हूं। मेहनत कभी जाया नहीं जाती मैं खेलों में करियर बनाने के सपने देखने वाली लड़कियों से यही कहना चाहूंगी कि अपने आत्मविश्वास को डिगने न दें। मेहनत करती रहें क्योंकि कठिन परिश्रम कभी जाया नहीं जाता है। इस बार एशियन गेम्स में महिलाओं ने साबित किया है कि यदि अवसर मिलें तो वे बेहतरीन प्रदर्शन कर सकती हैं। महिलाओं के प्रति अब आउट ऑफ द बॉक्स सोचने की जरूरत है। उनका सहयोग करें न कि उनके सपनों पर पाबंदी लगाएं।

कम संसाधनों में बेहतरीन प्रदर्शन किया
बस्तर के हॉकी प्रशिक्षण केंद्र पंडरीपानी की सुलोचना नेताम फॉरवर्ड व धनेश्वरी कोर्राम डिफेंडर के तौर पर खेलती हैं। धनेश्वरी बताती हैं कि मां का साया बचपन में ही सिर से उठ गया था। पिता किसान हैं, किसी तरह घर चलता है। जब 12वीं के बाद बाहर जाने का मौका मिला तो इसी दौरान हॉकी कोच से मुलाकात हुई। खेलने की इच्छा जताई तो उन्होंने हॉकी स्टिक थमा दी। उनके लगातार प्रयास की वजह से आज नेशनल तक जाना हुआ। वहीं सुलोचना भी कोंडागांव की हैं और पिता किसानी करते हैं। पिता को जब बाहर पढ़ाई की इच्छा जताई तो उन्होंने रोका नहीं। यहां आकर हॉकी से जुड़ीं और खेल में बेहतरीन प्रदर्शन से नेशनल में चयन हुआ।
देश की जर्सी में खेलना मेरा सपना
सुलोचना कहती हैं कि नेशनल में उत्तराखंड के खिलाफ खेलते हुए वह गोल जीवन का सबसे खूबसूरत पल था। अब सिर्फ देश की जर्सी में खेलना और मेडल लाना ही सपना है।

शादी के 10 साल बाद दिखाई प्रतिभा, राष्ट्रीय प्रतियोगिता में कर रहीं मप्र का प्रतिनिधित्व
रेशु जैन
सागर। प्रतिभा दो बच्चों की मां हैं, शादी के दस वर्ष के बाद वह अपने सपनों को पूरा किया। वह राइफल शूटिंग में मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। प्रतिभा ने एक वर्ष में राइफल शूटिंग में स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में क्वालिफाई किया। उन्होंने जबलपुर में हुई जीएफजी राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में उन्होंने प्री नेशनल के लिए क्वालिफाई किया। अभी दिल्ली में आयोजित आल इंडिया ओपन नेशनल शूटिंग प्रतियोगिता में मध्य प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। खेल के प्रति रहा जुनून प्रतिभा बताती हैं कि अकादमी में उनसे कम उम्र की लड़कियां हैं। इस उम्र में उनके साथ प्रेक्टिस करना भी एक अलग अनुभव है। क्योंकि अधिकतर इस उम्र तक आते-आते महिलाएं अपने सपनों को कहीं पीछे छोड़ देती हैं। खेल के प्रति जुनून मुझ में हमेशा से रहा, बचपन में हॉकी खेलती और अब राइफल शूटिंग कर रही हूं।

पति ने किया फिर से प्रेरित
प्रतिभा ने बताया कि वे सागर डिस्ट्रिक्ट राइफल एसोसिएशन की अकादमी में 10 मीटर एयर पिस्टल का प्रशिक्षण ले रही हैं। उन्होंने प्रशिक्षण की शुरुआत नवंबर 2022 से की थी। उन्होंने अपनी उपलब्धि का श्रेय पति डॉ. अजय सिंह को दिया। पढ़ाई के चलते जो सपना पूरा नहीं हो पाया, उसके बारे में जानकर पति ने शूटिंग सीखने के लिए प्रेरित किया।

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