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पढ़ाई हो रही चौपट, कैसे पहुंचे स्कूल की चौखट

कस्बे से गुजर रही घोड़ापछाड़ नदी में जून माह में हुई बरसात के दौरान तेज पानी आने से नावघाट तट पर चलने वाली नाव डूबने के साथ ही लोगों का आवागमन बंद पड़ा है। इसी नाव के सहारे मंडराते हुए खतरों के बीच जान जोखिम में डालकर बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए नदीपार स्कूल जाने को मजबूर थे।

बूंदीJul 26, 2024 / 06:40 pm

पंकज जोशी

बरून्धन, कस्बे से गुजर रही घोड़ापछाड़ नदी को जुगाड़ से पार करते विद्यार्थी

बरुन्धन. कस्बे से गुजर रही घोड़ापछाड़ नदी में जून माह में हुई बरसात के दौरान तेज पानी आने से नावघाट तट पर चलने वाली नाव डूबने के साथ ही लोगों का आवागमन बंद पड़ा है। इसी नाव के सहारे मंडराते हुए खतरों के बीच जान जोखिम में डालकर बच्चे उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए नदीपार स्कूल जाने को मजबूर थे। बारह महीने पानी से भरी रहने वाली नदी स्कूल पहुंचने से पहले बच्चों का हर दिन इतिहान लेती आ रही है। कभी नाव डूबती हैं तो कभी बाढ़ रास्ता रोक देती हैं।
वर्तमान में नाव डूबने के साथ ही अभिभावकों के सामने अपने बच्चों को स्कूल भेजने का संकट खड़ा हो गया है। स्कूल खुलने के बाद अभी तक समस्या का कोई समाधान नहीं होने से एक जुलाई से बच्चे निराश होकर घर बैठे हैं। इस संबंध में तीन जुलाई को ग्रामीणों ने बूंदी पहुंचकर जिला कलक्टर को ज्ञापन देकर समस्या से अवगत करवाया। चार जुलाई को शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने नदीपार मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों से संपर्क करके बच्चों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की बात कही, लेकिन अभी तक समस्या हल नहीं हुई।
दो सौ बच्चे हो रहे प्रभावित
नाव नहीं मिलने से करीब दो सौ बच्चे पढ़ाई से वंचित व चिंतित हो रहे हैं। नया सत्र शुरू होने के साथ ही छात्र छात्राएं स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। कस्बे में पहुंचने के लिए नाव से सौ फीट लबी नदी को पार करना पड़ता हैं, लेकिन नाव व पुलिया न होने की स्थिति में दूसरा रास्ता अपनाने पर करीब 15 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता हैं। ऐसे में बच्चे चाहकर भी विद्यालय नहीं पहुंच पा रहे हैं।
मासूमों के सिर पर खतरा
स्कूल पहुंचने में बाधक बनी नदी को पार करने के लिए चार प्लास्टिक ड्रम को आपस में जोड़कर उसके ऊपर बांस की लकड़ियों से बनी जाली डालकर जुगाड़ तैयार किया गया है। इसी जुगाड़ पर मंडराते खतरे के बीच पढ़ाई के लिए चिंतित हो रहे बच्चे नदीपार विद्यालय जाने को मजबूर हैं। इतना ही नहीं एक फेरे में जुगाड़ पर करीब आठ दस बच्चे बैठकर आवागमन कर रहे हैं। ऐसे में कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।
ढाई माह से बंद पड़ा झूला पुल का कार्य
घोड़ापछाड़ नदी के नावघाट पर 1.26 करोड़ की लागत से झूला पुल का निर्माण कार्य चल रहा हैं। लोगों को उमीद थी कि बारिश के मौसम से पहले झूला पुल तैयार हो जाएगा, जिससे वर्षो से चली आ रही नदी में नाव से आवागमन की समस्या खत्म हो जाएगी, लेकिन ढाई माह से उसका कार्य बंद पड़ा है। ऐसे में नाव डूबने व पुल तैयार नहीं होने से लोगो का आवागमन बंद हो गया है।
पुलिया को जल्दी तैयार करवाना चाहिए। नाव को ढूंढकर आवागमन सुचारू करने का प्रयास किया जा रहा है।
भारती शर्मा, सरपंच, ग्राम पंचायत बरुन्धन

मामला गंभीर एवं बच्चों की पढ़ाई से जुड़ा होने पर भी जिमेदार अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे हैं। पुलिया को जल्दी तैयार करवाना चाहिए। जब तक आवागमन के लिए वैकल्पिक व्यवस्था होनी चाहिए।
रामप्रसाद राठौर, सेवानिवृत सैनिक
विद्यालय स्तर पर बच्चों को इस प्रकार के जुगाड़ में बैठकर नदी से आवागमन के लिए मना किया गया है। बच्चे इस तरह से जान जोखिम में डालकर विद्यालय नहीं आए। इस संबंध में अभिभावकों को भी सूचित कर दिया गया है।
रणजीत मीणा, कार्यवाहक प्रधानाचार्य,राउमावि, बरुन्धन
ठेकेदार की तबीयत खराब होने से अस्पताल में भर्ती है। आजकल में छुट्टी हो जाएगी। फिर भी मैं कोशिश करके पुलिया का काम शुरू करवाता हूं।
अशोक डोगरा, पूर्व विधायक, बूंदी

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