सिविल लाइन चौक शहर के मुख्य चौराहों में शामिल सिविल लाइन चौक ऐसा चौराहा है जहां से जिले के मुखिया कलेक्टर प्रतिदिन गुजरते हैं। नगर निगम आयुक्त का भी इस चौराहे से आना जाना होता है। जिला मुख्यालय में पदस्थ ज्यादातर अफसरों का इस चौराहे से आना जाना होता है। इन हालातों में तो यह माना जाना चाहिए कि कम से कम यहां की व्यवस्था तो दुरुस्त होनी चाहिए। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। सिविल लाइन चौक और कोठी तिराहे के बीच 100 मीटर की दूरी में चौराहे का एक हिस्सा पूरी तरह से बाजार में तब्दील है। इसके एक हिस्से में 10 गुना 10 फीट आकार की आधा दर्जन अस्थाई दुकानें लगी हुई हैं। इसके आगे सब्जी कारोबारियों ने पूरी पटरी पर कब्जा कर रखा है। इसका नतीजा यह है कि यहां खरीददारी करने वाले लोग बीच चौराहे पर रोड के हिस्से में अपने वाहन खड़े कर देते हैं। इसी तरह से धवारी की दिशा में आयकर भवन के सामने से लेकर पेट्रोल पंप तक सड़क का आधे से ज्यादा हिस्सा ठेला वालों के कब्जे में है। इसी रोड में पूर्व दिशा की ओर ऑटो वाले सड़क पर ही अपनी पार्किंग बना रखे हैं और यहीं से सवारी भरते हैं जिससे ओवर ब्रिज से आने वालों के लिए यू-टर्न जोखिम और जाम की स्थिति में जूझता रहता है। कोठी तिराहे से आकर कचेहरी जाने वालों के लिए जो यू-टर्न है वहां पर वाहन रिपेयरिंग दुकान में आए वाहनों का कब्जा होने से यहां से वाहन नहीं निकाला जा सकता है।
कोठी तिराहा सिविल लाइन चौराहे से लगा हुआ कोठी तिराहा है। यहां दिनभर जाम जैसी स्थिति बनी रहती है और ट्रैफिक रेंगता हुआ नजर आता है। इसके पीछे का मुख्य कारण तिराहे का दक्षिणी हिस्सा बस स्टाप के तब्दील है। लिहाजा रोड का आधा हिस्सा दिन भर बसों के कारण भरा रहता है। इसके पहले डीएसपी यातायात का कार्यालय रोड के आधे हिस्से में बना था। जिसे गिरा तो दिया गया। इसके साथ ही यहां लगी हाई मास्ट लाइन के पोल को भी हटा दिया गया। लेकिन पोल का प्लेटफार्म यथावत है। साथ ही कार्यालय का हिस्सा भी समतल नहीं हुआ है। इस कारण कार्यालय हटने के बाद भी तिराहे का यह हिस्सा पूरी तरह अनुपयोगी ही है। कोठी की दिशा में रोड के पश्चिमी हिस्से में ठेलों का कब्जा है और इस दिशा का यू-टर्न ठेलों और फुटपाथियों के कारण अनुपयोगी है। इसी तरह कोठी से सिविल लाइन की ओर जाने वाले यू-टर्न का एक हिस्सा शराब खरीदने वालों के कब्जे में रहता है तो उसके आगे ऑटो वालों की सड़क पर ही पार्किंग रहती है।
सर्किट हाउस चौराहा सर्किट हाउस चौराहे का हाल तो यह है कि यहां नगर निगम का अत्याधुनिक इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम से जुड़े सिग्नल भी फेल हो चुके हैं। लिहाजा यहां के सिग्नल ही बंद कर दिए गए हैं। यहां यातायात का संचालन मैनुअली यातायात पुलिस द्वारा किया जाता है। लेकिन वह भी बेअसर है। ओवर ब्रिज पर खड़े होकर आज तक आटो का सवारी बैठाना नहीं रोका जा सका है। वहीं रामा रेजीडेंसी के सामने बीच सड़क पर अघोषित बस स्टाप बन चुका है। यहां से हर बस सवारी भरती है जिससे यातायात जाम हो जाता है। सुपर चैनल के सामने पटरी के पूरे हिस्से को आटो वालों ने पार्किंग बना रखा है। इसके बाद रोड के हिस्से पर बसे खड़ी हो जाती है।स्टेशन की और जाने वाले यू-टर्न पर बिजली के खंभे की वजह से यातायात अवरुद्ध रहता है। इसे हटाने के निर्देश कई बैठकों में हो चुके हैं। लेकिन सभी बेअसर है। इस तरह इस चौराहे पर सुगम यातायात तो मौजूं हैं नहीं साथ ही यह हादसों के स्थल में भी तब्दील हो चुका है। महीने में चार-पांच बड़े हादसे होते ही रहते हैं।
सेमरिया चौराहा फ्लाई ओवर के नीचे सेमरिया चौराहे का यातायात पूरी तरह से फुटपाथियों के कब्जे में है। इस चौराहे का 50 फीसदी रोड का हिस्सा ठेलों और फुटपाथियों के कब्जे में जा चुका है। इसे एक तरह का छोटा बाजार कहा जा सकता है। कुछ हिस्से में बेघर लोगों ने कब्जा कर रखा है। अब तो स्थिति यह हो चुकी है कि ये लोग सड़क पर ही चूल्हा जला कर खाना पकाते हैं। शाम को रही सही कसर शराबी पूरी कर देते हैं और इसके बड़े हिस्से को मयखाने में तब्दील कर देते हैं।
नाकारा व्यवस्था का दंश भोग रही जनता “शहर में इस समय व्यवस्था सुधारने के जिम्मेदार जितने भी अफसरान है उन्हें नाकारा ही कहा जा सकता है। इनकी रुचि यातायात व्यवस्था बनाने में कभी नहीं रही। यातायात पुलिस और नगर निगम के अफसरों को के बारे जितना बुरा कहा जा सकता है वह सब लागू होता है।” – निशांत खरे, अतिथि विद्वान
“सबसे ज्यादा दोषी यहां के जनप्रतिनिधि है। जब भी कभी ठोस कदम उठाया जाता है तो यही लोग अफसरों को फोन करके उनके हाथ पाव बांध देते हैं। शहर के महापौर को क्या बेपटरी यातायात नहीं नजर आता है। लेकिन कभी उन्होंने इस विषय को लेकर निगम के अफसरों की बैठक ली है और इसमें सुधार के निर्देश दिए हैं।” – दीपक बागरी, व्यवसायी
“जब तक चौराहों को नॉन ट्रेडिंग लैण्ड नहीं बनाया जाएगा तब तक यातायात में सुधार नहीं हो सकता। चौराहों पर वाहनों के चलने की जगह नहीं है लेकिन कारोबार को पूरा स्थल उपलब्ध है। ऐसे में आप कैसे सुगम यातायात के बारे में सोच सकते हैं। जब चौराहे पूरी तरह आवागमन के लिए मुक्त नहीं होंगे सुगम यातायात संभव नहीं है।” – सौरभ सिंह, व्यवसायी
एक्सपर्ट व्यू सुगम यातायात का मूल सिद्धांत है कि लोगों और वाहनों को चलने के लिए ट्रैफिक लोड के हिसाब से पर्याप्त जगह मिले। रोड का ब्लैक टॉप हिस्सा और उसकी पटरी पूरी तरह से खाली होनी चाहिए। जब तक ऐसा नहीं किया जाएगा तब तक सुगम यातायात संभव नहीं है। जिस दिन इस थंब रूल का पालन हो गया उसी दिन से सुगम यातायात मिलने लगेगा। सख्ती के साथ और लगातार चौराहों को पूरी तरह अवैध कब्जों से मुक्त कराना होगा। वैसे भी चौराहों पर सिग्नल सिस्टम होने के कारण यहां सड़क पूरी तरह से खाली होनी चाहिए। अन्यथा सिग्नल भी प्रभावी नहीं होता है। – एलबी सिंह, सेवा निवृत्त डीएसपी
“जल्द ही इस समस्या समाधान के लिए पुलिस और नगर निगम के साथ बैठकर ठोस रणनीति तय की जाएगी। इसके बाद जमीनी कार्यवाही करेंगे।” – अनुराग वर्मा, कलेक्टर