Come to understand RSS, branch
नई दिल्ली। अब तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर सांप्रदायिक तथा कट्टरवादी हिंदू संगठन होने का आरोप लगाया जाता रहा है। परन्तु अब संघ अपनी इस छवि को झुठलाकर सर्वधर्म संभाव का संदेश दे रहा है।
झारखंड में संघ तथा उसके सहयोगी संगठनों द्वारा शुरू की गई एक नई पहल ने क्षेत्र के मुस्लिम तथा ईसाईयों के बीच संगठन की छवि बदल दी है। संगठन द्वारा यहां शुरू किया गया तकनीकी प्रशिक्षण कार्य मुस्लिमों और ईसाईयों के बीच बेहद लोकप्रिय हो रहा है। संघ के विभिन्न सेवा प्रकल्पों के माध्यम से चल रहे ऐसे अभियान सीधे इन्हें रोजगार से जोड़ रहे हैं। संघ द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान का असर राजधानी तथा आसपास के बड़े शहरों में स्पष्ट दिखाई देता है।
राज्य के औद्योगिक शहर जमशेदपुर में चल रहे केंद्रों पर कौशल विकास प्रशिक्षण के साथ-साथ युवकों को भारतीय संस्कृति और संस्कार से भी परिचित कराया जा रहा है। मुस्लिम-ईसाई तबके के युवक-युवतियां नियमित रूप से गायत्री मंत्र का भी जाप करते हैं। इन समुदायों से कई प्रशिक्षक भी तैयार हो चुके हैं जो राष्ट्रीय सेवा भारती से जुडक़र काम कर रहे हैं। इन केन्द्रों में हजारों मुस्लिम तथा ईसाई युवक-युवतियों को आर्थिक स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया जा रहा है।
संघ के क्षेत्रीय संघचालक सिद्धिनाथ सिंह जो स्वयं भी एक इंजीनियर हैं, कहते हैं कि मैं जब पहली बार हफुआ आकर इन युवकों से मिला तो एक चमक देखी। सिंह कहते हैं कि हिंदू-मुस्लिम जब एक साथ हो जाएं तो एक बड़ी शक्ति बन जाते हैं। एक बार होली के वक्त जमशेदपुर के आधुनिक कंपनी का ब्यालर खराब हो गया था। ज्यादातर हिंदू तकनीशियन छुट्टी पर थे। उस मुश्किल समय में सभी मुस्लिम तकनीशियन रातोंरात जाकर बॉयलर ठीक करके वापस आ गए। इनका साथ मिलना देश के लिए वरदान के समान हैं।