जयप्रकाश नारायण की शादी बिहार के प्रसिद्ध गांधीवादी बृजकिशोर प्रसाद की बेटी से हुई थी। विवाह के कुछ दिन के बाद ब जेपी अमरीका पढ़ाई के लिए गए तब प्रभावती साबरमती आश्रम में कस्तूरबा गांधी के साथ रहने लगी। दरअसल गांधी जी ने ब्रजकिशोर प्रसाद को पत्र लिखकर आग्रह किया था कि वे अपनी बेटी को आश्रम में रहने की अनुमति दें। वहीं जेपी ने अमरीका से अपने पिताजी को पत्र लिखकर अनुरोध किया कि वे प्रभावती को साबरमती आश्रम जाने की इजाजत दें। इस तरह प्रभावती आश्रम आ गई। लेकिन शायद ही किसी को इस बात का अंदाजा था कि आश्रम में रहने का निर्णय उनकी जिंदगी में बदलाव ला देगा। थोड़े दिनों में ही प्रभावती गांधीजी से इस कदर प्रभावित हो गई कि उन्होंने ब्रह्मचर्य लेने का निर्णय किया। गांधी जी ने पहले तो ऐसा करने से मना कर दिया, उन्होंने जेपी को खत लिखकर इस बारे में बाताने को कहा। प्रभावती ने ऐसा ही किया, लेकिन जेपी ने इस बात को गंभीरता से लेने की जगह उन्हें जवाब लिखा कि यहां से क्या कहूं, इस बारे में वापस आकर बात करता हूं। लेकिन प्रभावती जी व्रत लेने के लिए बैचेन थीं, उन्होंने पति के वापस आने का इंतजार भी नहीं किया और ब्रह्मचर्य की शपथ ले ली। इस तरह प्रभावती ने देश की औरतों के सामने अलग मिसाल पैदा की। क्योंकि उससे पहले पहले तक केवल पुरुषों के ब्रह्मचर्य व्रत का उदाहरण ही मिलता है जिसको महिलाएं भी पति की अनुगामिनी के रूप में स्वीकार कर लेती थीं।