
अक्तूबर 1926 में लाहौर में दशहरा के अवसर पर बम फटा। इस बम कांड के सिलसिले में भगत सिंह को 29 मई 1927 को पहली बार गिरफ्तार किया गया। पाँच सप्ताह तक हिरासत में रखने के बाद 4 जुलाई 1929 को साठ हज़ार रुपए की ज़मानत पर रिहा गया गया। हाथ-पैरों में हथकड़ी-बेड़ी व चारपाई पर बिना पगड़ी के खींचा गया भगत सिंह का यह चित्र उसी समय का है।

भगत सिंह असहयोग आन्दोलन के दौरान लाला लाजपत राय द्वारा स्थापित लाहौर के नेशनल कालेज के छात्र थे। कालेज के ड्रामा सोसाइटी के इस समूह चित्र में वे दाहिने से चौथे स्थान पर पर खड़े हैं।

भगतसिंह के दस्तख्त

भगतसिंह का 16-17 वर्ष की उम्र का चित्र जब वे नेशनल कालेज, लाहौर के छात्र थे।

भगत सिंह के बचपन का चित्र, उम्र 11-12 वर्ष

8 अप्रैल 1929 के असेम्बली बम कांड का समाचार जिसमें भगतसिंह और बटुकेश्वर दत्त का चित्र दिखाई दे रहा है

भगत सिंह का मृत्यु प्रमाणपत्र

लाहौर के अखबार दी ट्रिब्यून में भगत सिंह और उनके साथियों को मृत्युदंड दिए जाने का समाचार

न्यूयार्क के डेली वर्कर में भगत सिंह और उनके साथियों को मृत्युदंड दिए जाने का समाचार

30 अक्टूबर 1928 को ब्रिटिश सरकार द्वारा नियुक्त साइमन कमीशन के विरोध में लाला लाजपत राय के नेतृत्व में एक अहिंसक विरोध प्रदर्शन हुआ। इस जुलूस पर पुलिस के हमला में पुलिस सुपरिंटेंडेंट स्कॉट की लाठियों से घायल लाजपत राय की मृत्यु हो गयी। भगत सिंह और उनके साथियों ने इसका बदला लेने के लिए कार्रवाई की। इस कारवाई में 17 दिसम्बर 1928 को स्कॉट की जगह पर उसका सहायक सौंडर्स मारा गया। लाहौर की पुलिस से बचने के लिए भगत सिंह ने अपने केश और दाढ़ी कटा ली और हैट लगाकर वेश बदलकर लाहौर से निकल गए। हैट लगाये भगतसिंह का यह चित्र जो वास्तव में उनका छद्मवेश का था, 8 अप्रैल 1929 के असेम्बली बम कांड के बाद अखबारों में प्रकाशित होने से भगतसिंह की पहचान बन गया।