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मंदिरों में नाममात्र के पुजारी-सेवागीर, ऑफिस में कर रहे बाबूगिरी

मंदिरों की साफ—सफाई व सुरक्षा के लिए सेवागीर ही नहीं

जयपुरMay 19, 2024 / 05:13 pm

Girraj Sharma

जयपुर। सरकार को भगवान की सेवा से अधिक अपने काम की चिंता हैं। मंदिरों में ‘सेवा-पूजा’ के लिए लगे पुजारियों व सेवागीरों को देवस्थान विभाग ने ‘बाबूगिरी’ के काम में लगा रखा है। हकीकत यह है कि मंदिरों की साफ—सफाई व सुरक्षा के लिए सेवागीर ही नहीं है। दिनभर मंदिर भगवान भरोसे रहते हैं। तीन मंदिरों को छोड़कर एक भी मंदिर में सेवागीर नहीं है। ऐसे में न मंदिरों में समय पर झाडू—पोछा लग रहा है, न सुरक्षा की कोई व्यवस्था है।
राजधानी में देवस्थान विभाग के अधीन 40 मंदिर है, इनमें से 33 मंदिरों में सेवा-पूजा व देखरेख का काम विभाग खुद कर रहा है। पुजारियों की नई भर्ती के बाद मंदिरों में एक-एक पुजारी लगे हैं, लेकिन सेवागीर नहीं है। विभाग के सूत्रों की मानें तो जो सेवागीर है, उनकी हाजिरी मंदिरों में हो रही है, जबकि वे कार्यालय में लिपिक का काम कर रहे हैं। ऐसे ही जिन मंदिरों में 2 या 3 पुजारियों के पद है, उनमें से एक-एक पुजारी कार्यालय में लगा रखे हैं। इनमें 5 पुजारी और तीन सेवागीर भगवान की सेवा नहीं कर कार्यालय में फाइलें चला रहे हैं। इससे मंदिर में सेवा-पूजा का काम प्रभावित हो रहा है। हकीकत यह है कि अधिकतर मंदिरों में नियमित साफ-सफाई नहीं हो रही है। सफाई के नाम पर सिर्फ झाडू ही लग रही है।
33 मंदिर, सेवागीर सिर्फ 6
देवस्थान के 33 मंदिरों में सिर्फ 6 सेवागीर ही है। जबकि मंदिरों में साफ-सफाई व सुरक्षा के लिए सेवागीर होना जरूरी है। पहले एक—एक मंदिर में 5 से 6 सेवागीर होते थे, जिनमें भगवान का भोग बनाने के लिए रसोइदार व बालभोगिया होता था, इसके अलावा जलसेवक अलग से होता था। इसके अलावा साफ-सफाई के लिए बुहारिया होता था, वहीं सुरक्षा के लिए प्रहरी और कीर्तन करने के लिए एक कीर्तनिया हुआ करता था, लेकिन धीरे-धीरे सब सेवानिवृत होते गए, अब अधिकतर मंदिरों में एक भी सेवागीर नहीं है।
फैक्ट फाइल
40 मंदिर है जयपुर में देवस्थान विभाग के प्रत्यक्ष प्रभार के
5 मंदिरों को सुपुर्दगी श्रेणी में दे रखा है धार्मिक संगठनों को
33 मंदिरों की विभाग कर रहा है सेवा-पूजा व देखरेख

46 पुजारी है देवस्थान विभाग में
विभाग के अफसरों की मानें तो जयपुर में विभाग के 46 पुजारी है। इनमें 28 पुजारी नई भर्ती में आए है, जबकि 18 पुराने पुजारी है। इसके बाद भी मंदिरश्री आनंदकृष्ण बिहारीजी, ब्रजनिधिजी और बृजराज बिहारीजी में 2-2 पुजारी ही है, बाकि मंदिरों में एक-एक पुजारी लगे हुए हैं। जबकि ए श्रेणी के मंदिरों में 2 या तीन पुजारी लगाना जरूरी है।
6 सेवागीर कार्यरत
33 मंदिरों में पर्याप्त पुजारी उपलब्ध होने से नियमित सेवा-पूजा हो रही है। इन मंदिरों में 6 सेवागीर भी कार्यरत है।
– आकाश रंजन, सहायक आयुक्त, देवस्थान विभाग

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