Chhattisgarh: दीपावली के बाद होता मड़ई-मेला
बता दें कि मां अंगारमोती शक्तिपीठ गंगरेल में पुरातन परंपरा का आज भी पूरी श्रद्धा के साथ निर्वहन किया जा रहा है। यहां दीपावली के बाद पड़ने वाले प्रथम शुक्रवार को मड़ई-मेला का आयोजन किया गया। मड़ई में विभिन्न गांवों से पहुंचे बैगाओं ने त्रिशूल, कासल, सांकल आदि हाथ में रखकर संस्कृति का प्रदर्शन किया। आंगादेव परपंरिक देव बाजा की धुन पर थिरकते रहे। Chhattisgarh: मड़ई देखने धमतरी सहित अन्य प्रदेश से भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में शामिल हुए। मड़ई में सिरहा, बैगाओं ने सर्वप्रथम मां अंगारमोती माता का दर्शन किया। पश्चात मंदिर परिसर का सात बार परिक्रमा कर गांव बनाने की रस्म अदा की गई। इसके बाद प्रांगण में संतान प्राप्ति की कामना लेकर पहुंची करीब 100 से अधिक महिलाओं ने बाल खुले कर हाथ में नींबू और नारियल लेकर औधें मुंह जमीन में लेटी।
बैंगाओं ने महिलाओं के ऊपर से चलते हुए निभाई परंपरा
माता अंगारमोती के मुख्य डांग सहित अन्य देवी-देवताओं के डांग-डोरी लिए बैंगाओं ने महिलाओं के ऊपर से चलते हुए उन्हें संतान प्राप्ति का आशीर्वाद दिया। मंदिर के मुख्य पुजारी ईश्वर नेताम ने बताया कि परंपरानुसार गंगरेल मड़ई में 52 गांव के देवी-देवता शामिल हुए। संतान प्राप्ति सहित कष्ट निवारण के लिए इस मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैली है। मड़ई पश्चात आमंत्रित सभी देवी-देवताओं को श्रीफल भेंटकर ससम्मान विदा किया जाता है।