Monsoon Forecast: भीषण गर्मी में किसानों को मानसून के आने का बेसब्री से इंतजार है। किसान भी खरीफ की बुवाई के लिए बार-बार आसमान को ताक रहे हैं। ग्रामीण और किसान मौसम का अनुमान लगाने के लिए प्राकृतिक संकेतों का सहारा लेते आए हैं। टिटहरी के अंडों से मानसून का अंदाजा लगाने की परम्परा भी काफी पुरानी है। मानसून का मिजाज भांपने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में यह तरीका परम्परागत रूप से अपनाया जाता रहा है।
टिटहरी के अंडों से बारिश की मात्रा से लेकर बारिश की अवधि तक का पूरा गणित निर्धारित होता है। टिटहरी (पक्षी) ने बिलाड़ा के एक निजी स्कूल के भवन की तीसरी मंजिल पर तीन अंडे दिए हैं। ऐसा माना जाता है कि टिटहरी को बारिश का पूर्वाभास हो जाता है और उसी को ध्यान में रखते हुए वह अपने अंडे देने का स्थान तय करती है। टिटहरी के इन अंडों के आधार पर ग्रामीण कई तरह से मानसून का विश्लेषण करते हैं। इस बार बिलाड़ा में टिटहरी के अंडे देने के आधार पर मौसम के जानकारों ने मानसून के अच्छे रहने की संभावना जताई गई है। ग्रामीण क्षेत्र में किसान टिटहरी के अंडों के आधार पर अपने खेत में बुवाई की रूपरेखा भी तय करने लगते हैं।
पूरी जिंदगी जमीन पर ही गुजार देती है टिटहरी
जानकारों की मानें तो टिटहरी एक ऐसा पक्षी है, जो कभी पेड़ पर नहीं बैठता है। वह अपनी पूरी जिंदगी जमीन पर ही गुजार देती है। यह टिटहरी गर्मी के दिनों में मानसून के आने से पहल खुले मैदान या खेत में अंडे देती है। यह रात के समय जंगल या खेत में किसी भी तरह की आहट पर तेज आवाज कर सभी को सचेत कर चौकीदार की भी भूमिका निभाती है।
हर तरह से होता है विश्लेषण
वहीं कितने महीने बारिश होने वाली है इसका अंदाजा अंडों की संख्या से लगाया जाता है। टिटहरी ने यदि 4 अंडे दिए तो 4 महीने और 3 अंडे दिए तो इसे 3 महीने बारिश का संकेत समझा जाता है। वहीं अंडों की स्थिति से तेज या धीमी बारिश का अनुमान लगाया जाता है, जितने अंडे खड़े हैं उतने महीने तेज बारिश और जितने अंडे बैठे हैं उतने महीने धीमी बारिश मानी जाती है। उदाहरण के तौर पर 2 अंडे खड़े और 2 अंडे बैठी स्थिति में हैं तो 2 महीने तेज और 2 महीने धीमी बारिश होगी।