इस तस्वीर को आप देखिये और सोचिये कि क्या आपने इस कदर की तस्वीर पहले कभी देखी है? यह तस्वीर उस वक्त की है जब रोहिणी की जनसुनवाई दरबार में कुछ दिव्यांग अपनी फ़रियाद लेकर पहुंचे थे। फरियादी दिव्यांगों को देखते ही महिला कलेक्टर ने उन्हें कुर्सी पर बैठाया और खुद ज़मीन अपर बैठ कर शिकायतें सुनने लगीं।

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो यहां की कलेक्टर रोहिणी रामदास को अमूमन गरीबों की सुनवाई के लिए जनता दरबार लगाते देखा जा सकता है। तमिलनाडु के इस जिले के 227 साल के इतिहास में रोहिणी पहली महिला कलेक्टर हैं। 1790 से अब तक यहां सभी पुरुष डीएम रहे।
बचपन में पिता को खेती करते देख और खेती में आने वाली समस्याओं को देख 9 साल की उम्र में ही रोहिणी रामदास ने निश्चय कर लिया था कि वो एक दिन कलेक्टर बनेंगी। जिससे कि सिस्टम की लालफीताशाही से किसानों को ना मिल पाने वाली सरकारी योजनाओं का फायदा उन्हें दिलाया जा सके। रोहिणी ने सरकारी स्कूल से शुरुआती शिक्षा और गवर्नमेंट कॉलेज से इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद रोहिणी ने सिर्विस सर्विसेज परीक्षा में सफलता हासिल की।