आज 21 साल की हो चुकीं प्रियांशी को भारत की सबसे युवा ‘ह्यूमन कैलकुलेटर’ (Human Calculator) होने का सम्मान प्राप्त है। 2010 के ‘मेंटल कैलकुलेशन वर्ल्डकप’ 6 मिनट 51 सेकंड्स में छह अंकों की संख्या का आठ अंकों तक वर्गमूल निकाला था। उनके माता-पिता सत्येन और अंजू सोमानी ने उन्हें 6 साल की उम्र में मेंटल मैथेमैटिक्स (Mental Mathematics) की कक्षाओं में भेजना शुरू किया थाा जहां उन्हें बिना पेन-पेपर के मन में ही गणित की बड़ी से बड़ी संख्या का कैलकुलेशन करना सिखाया जाता है। यह वह तकनीक है जो गणित के जटिल कॉन्सेप्ट को सरलता से समझने में भी मदद करती है।
मेंटल मैथ की कक्षाओं में जाने के एक साल के भीतर ही प्रियांशी अबेकस औैर मेंटल अंकगणित प्रतियोगिताओं में राष्ट्रीय चैम्पियन बन गई थीं। 2007 में उन्होंने पहली बार मलेशिया में आयोजित अंतरराष्ट्रीय अबेकस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और चैंपियन बनीं। 2010 के विश्व कप में उन्होंने 8 महत्वपूर्ण अंकों तक वर्गमूल निकालने के लिए पहला स्थान जीता। इसके अलावा प्रियांशी ने 6.28 मिनट में वर्गमूल के 10 अलग-अलग कैलकुलेशन को भी सही तरीके से हल कर दिया और साथ ही सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। साल 2012 में उन्होंने छह अंकों की संख्या का 2 मिनट 43 सेकंड में 10 अंकों तक वर्गमूल ज्ञातकर नया विश्व रिकॉर्ड बनाया। इसके बाद उन्होंने इन प्रतियोगिताओं को अलविदा कह दिया। फिलहाल वे थिएटर में सक्रिय हैं।