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भारतीय हीरो… जिनके दम से विज्ञान के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर देश की बनी पहचान

 पिछले कुछ दशक में हमारे वैज्ञानिकों ने कई ऐसे कारनामे कर दिखाए हैं, जिससे दुनिया भर में भारत को एक नई पहचान मिली।

Aug 08, 2017 / 06:00 pm

Dhirendra

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पिछले महीने प्रोफेसर यशपाल और वैज्ञानिक यूआर राव के निधन ने भारतीय वैज्ञानिकों की इन उपलब्धियों को नए सिरे से चर्चा में ला दिया है। पर बहुत कम लोग हैं, जो वैश्विक पटल पर देश का नाम रोशन करने वालों को जानते हैं। जबकि विज्ञान, स्वास्थय, अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में देश का नाम रोशन करने वाले वैज्ञानिकों के बारे में जानकारी होनी चाहिए।
यूआर राव (10 मार्च, 1932 से 24 जुलाई, 2017)
अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत की धाक जमाई


भारत में स्वदेशी डिजाइन के आधार पर तैयार उपग्रह आर्यभट्ट को 1975 में लॉन्च करने के पीछे इन्हीं का हाथ था। इस सफलता के बाद भारत पहली बार अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में दुनिया के नक्शे पर आया। वह पहले भारतीय थे, जिन्हें वाशिंगटन हॉल ऑफ फेम में शामिल किया गया।
प्रोफेसर यशपाल (26 नवंबर, 1926 से 24 जुलाई, 2017)
जनमानस में विज्ञान को लोकप्रिय बनाया


अहमदाबाद अंतरिक्ष अनुप्रयोग संस्थान के पहले निदेशक व यूजीसी के पूर्व अध्यक्ष वैज्ञानिक यशपाल ने लोगों की रुचि पैदा की। भौतिक विज्ञान के कॉस्मिक रेज, उच्च ऊर्जा भौतिकी और आस्ट्रो भौतिकी के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए दुनियाभर में अपनी अलग पहचान बनाई।
 डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (15 अक्टूबर, 1931 से 27 जुलाई, 2015)
भारत के मिसाइल मैन


डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने फिजिक्स और एयरोस्पेस के क्षेत्र में काफी काम किया। वह भारत के राष्ट्रपति भी बनें। उन्होंने भारतीय सेना के लिए बैलिस्टिक मिसाइल और सैटेलाइट लॉन्चिंग के लिए प्रक्षेपण वाहन प्रौद्योगिकी की तकनीक मुहैया कराया। इस कारण लोग उन्हें मिसाइल मैन के नाम से भी जानते हैं। 1998 में भारत का दूसरा परमाणु परीक्षण भी उन्हीं के नेतृत्व में संपन्न हुआ।
 डॉ. कोटि हरिनारायण (जन्म १९४३)
कॉम्बैट एयरक्राफ्ट के निर्माता


भारत के पहले स्वदेश निर्मित युद्धक विमान तेजस के पीछे इन्हीं का दिमाग था। तेजस ने उनके नेतृत्व में पहली बार 2001 में उड़ान भरी थी। इसे डॉक्टर कोटि हरिनारायण के नेतृत्व में ही विकसित किया गया। तेजस रूसी विमान मिग-21 का न केवल स्थान लेने में सक्षम है, बल्कि उससे ज्यादा सटीक मारक क्षमता से लैस है।
 डॉ. होमी जहांगीर भाभा (30 अक्टूबर, 1909 से 24 जनवरी, 1966)
भारतीय परमाणु कार्यक्रम के जनक


डॉ.होमी जहांगीर भाभा के प्रयासों से ही भारत परमाणु क्षमता संपन्न देश बना। इसके बाद भारत ने न केवल परमाणु ऊर्जा हासिल करने की दिशा में कदम बढ़ाया, बल्कि परमाणु हथियरों के निर्माण में भी आत्मनिर्भर हो गया। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के वह संस्थापक निदेशक भी रहे।
डॉ. शिवथनु पिल्लई (जन्म 15 जुलाई, 1947)
क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के निर्माता


डॉ.शिवथनु पिल्लई उन वैज्ञानिकों ने शुमार हैं जिन्होंने क्रूज मिसाइल बनाई। वह भारत के स्वदेशी मिसाइल प्रणाली ब्रह्मोस के जनक हैं। आज न केवल हम इसका निर्माण कर सकते हैं, बल्कि दुनिया के देशों को आपूर्ति भी कर सकते हैं। इन्होंने ही बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली में पश्चिमी देशों के एकाधिकार को भी समाप्त किया।
के. राधाकृष्णन (24 अगस्त, 1949)
चंद्रयान और मार्स मिशन के प्रणेता


मंगलयान और चंद्रयान के निर्माण का श्रेय के. राधाकृष्णन **** उनकी टीम को जाता है। यह दुनियाभर में सबसे कम कीमत पर तैयार होने वाला यान है। मंगलयान की सफलता ने दुनिया भर में वाहवाही बटोरी और पहले ही प्रयास में इस मुकाम को हासिल करने वाला भारत पहला देश बना।
विजय पी भाटकर (जन्म 11 अक्टूबर, 1946)
देसी सुपर कंप्यूटर के वास्तुकार


विजय पी भाटकर भारत के पहले सुपर कंप्यूटर परम-800 के वास्तुकार हैं। १९९१ में इसके निर्माण के बाद भारत अमरीका के बाद दुनिया में दूसरे नंबर पर आ गया। भाटकर सी-डैक के संस्थापक कार्यकारी निदेशक भी रहे। डाटाक्वेस्ट मैगजीन ने उन्हें भारतीय आईटी इंडस्ट्री का स्टार पायनियर करार दिया।
सुभाष मुखोपाध्याय (१६ जनवरी १९३१)
भारत में आईवीएफ के जनक


सुभाष मुखोपाध्याय ने भारत की पहले और विश्व की दूसरे आईवीएफ बच्चे को जन्म देने वालों में गिने जाते हैं। 3 अक्टूबर 1978 को उन्होंने इन-विट्रो का निषेचन किया। इसके कारण शिशु ‘दुर्गाÓ का जन्म हुआ। लेकिन इसकी मान्यता दुर्भाग्य से 1986 में उनकी मौत के बाद मिली। बाद में उनकी जीवन पर ‘एक डॉक्टर की मौत नामक फिल्म भी बनी।

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