वह खुद शाम को महिलाओं की जांच करती है। इस दौरान नर्स की भूमिका भी खुद ही निभाती है। आदिवासी महिलाएं तो अब मंजू को अपने परिवार की सदस्य मानने लग गई है। प्रेम से उन्हें ‘अफसर दीदीÓ कहकर पुकारती है।
•Mar 07, 2020 / 10:18 pm•
Rajesh
अलसीसर के पास रामू की ढाणी में जन्मी मंजू श्योराण आदिवासी क्षेत्र में 'अफसर दीदीÓ के नाम से चर्चित हो रही है। मंजू अभी उदयपुर संभाग के बडग़ांव में उपखंड अधिकारी है। इससे पहले गिर्वा में सहायक कलक्टर थी। प्रशासनिक कार्य के अलावा वह महिलाओं की चिकित्सा भी निशुल्क करती है। एमबीबीएस व एमएस करने के बाद दिल्ली के तेग बहादुर अस्पताल में महिला रोग चिकित्सक की नौकरी की। तब ही उन्होंने आदिवासियों की सेवा करना का सपना देखा था।
अब आइएएस बनने के बाद संयोग से नौकरी आदिवासी क्षेत्र में लग गई। वह खुद शाम को महिलाओं की जांच करती है। इस दौरान नर्स की भूमिका भी खुद ही निभाती है। आदिवासी महिलाएं तो अब मंजू को अपने परिवार की सदस्य मानने लग गई है। प्रेम से उन्हें 'अफसर दीदीÓ कहकर पुकारती है। उन्होंने हर गांव का कलेंडर तैयार कर रखा है उसी के अनुसार गांवों में जाकर भी महिलाओं की निशुल्क जांच करती है। इस कारण आदिवासी क्षेत्र में पहले डॉक्टर व नर्सिंग स्टाफ कभी कभार ही अस्पताल में जाते थे, उन्हें भी नियमित अस्पताल जाना पड़ रहा है। महिलाओं को केरोसिन व गेहूं भी पूरा मिलने लगा है। साथ ही सरकारी योजनाओं का भी पहले से ज्यादा फायदा मिलने लगा है।
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डॉ. मंजू श्योराण जाखड़ ने आईएएस परीक्षा में ऑल इंडिया लेवल पर 59वीं रैंक प्राप्त की थी। उसे मसूरी के लाल बहादुर शास्त्री प्रशिक्षण अकादमी में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने स्वर्ण पदक प्रदान कर सम्मानित किया था। उसका ससुराल गुढ़ागौडज़ी के पास है सौंथली गांव में है। वह अपने शहीद ससुर की याद में गांव में भी निशुल्क चिकित्सा शिविर लगाती है।
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