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मैं 16 साल की थी जब फिरोज ने मुझे प्रपोज किया: इंदिरा गांधी

एक इंटरव्यू में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कहा था कि वो जब 16 साल की थीं तब फिरोज ने उन्हें प्रपोज किया था।

Oct 30, 2017 / 08:49 am

Chandra Prakash

indira gandhi
नई दिल्ली। भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 33 वीं पुण्यतिथि 31 अक्टूबर को है। इंदिरा गांधी के बाद अब तक प्रधानमंत्री पद पर कोई भी महिला विराजमान नहीं हुई। अपने लौह व्यक्तित्व के लिए वे दुनियाभर में जानी जाती हैं। पेश हैं उनके जीवन के कुछ महत्वपूर्ण किस्से उनके ही शब्दों में।
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मैं 16 साल की थी जब फिरोज ने मुझे प्रपोज किया
मैं 13-14 साल की थी, जब पहली बार फिरोज को देखा था। जब उन्होंने मुझे प्रपोज किया, तब मैं 16 साल की थी। वे मुझे तब तक प्रपोज करते रहे, जब तक मैं मान नहीं गई। फिरोज मेरी जिंदगी में इकलौते आदमी थे। अपने बच्चों का मैंने बहुत ख्याल रखा है। कभी उन्हें किसी को छूने तक नहीं दिया। जिंदगी में बहुत-सी मुश्किलें और तकलीफें आई हैं। मेरा मानना है कि आप अपनी खुशी तो दूसरों के साथ बांट सकते हैं, लेकिन गम नहीं। वह आपको अकेले ही संभालना पड़ता है। मुझे लगता है कि मैंने खुद को पूरी तरह अकेले ही संभाला है।
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आजादी की लड़ाई में इतनी मगन थी कि कोई सहेली नहीं बना सकी
आजादी की लड़ाई और राजनीति की बातों में मैं इतनी मगन थी कि एक आम किशोरी की तरह मन में कभी भावनाएं उठी ही नहीं। मेरी कोई सहेली नहीं थीं। बस कजिन्स थे, जो लड़के थे। स्कूल में कुछ लोगों से दोस्ती थी, पर लड़कियों वाली गॉसिप से नफरत थी। मुझे पेड़ पर चढऩे जैसे खेल पसंद थे। सबसे ज्यादा खुश मैं अपने माता-पिता के साथ होती थी, क्योंकि उनके साथ रहने के अवसर कम मिलते थे। जब पिता जेल से बाहर होते, तो मुझे बहुत खुशी होती थी। मुझे पहाड़ों पर जाना भी बहुत पसंद था।
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प्रधानमंत्री बनने पर दंग थी दुनिया
इंदिरा की बुआ कृष्णा हठीसिंह ने अपनी किताब डियर टू बीहोल्ड में लिखा- भारत ने एक महिला को राष्ट्र की मुखिया के रूप में चुना। इस पर दुनिया दंग थी। जब वह पहली बार यूएस गईं, तो अमरीकन प्रेस उनके महिला मुखिया होने से सम्मोहित थी।

मैं जो हूं पिता की वजह से
बचपन में मैंने कभी भी देश का मुखिया बनने का सपना नहीं देखा था। मैं जो कुछ बनी, मेरे पिता ने बनाया। दरअसल हर इंसान पूरे वक्त कहीं न कहीं से, किसी न किसी से कुछ न कुछ सीखता रहता है। मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ। मेरे लिए हर वो शख्स हीरो था, जिसने देश की आजादी के लिए लड़ाई लड़ी। जब मेरी मां की मौत हुई, मैं बस 19 साल की थी।

(सन् 1982 में इंडिया टूडे को दिए एक इंटरव्यू पर आधारित)

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