सम्राट अकिहितो और महारानी मिचिको के सबसे बड़े पुत्र है 59 वर्षीय नारूहितो। उन्होंने जापान के अलावा ऑक्सफोर्ड में भी अध्ययन किया। पर्वतारोहण, संगीत, घुड़सवारी के अलावा इतिहास में नारूहितो की खास दिलचस्पी है। बताया जाता है कि वे इतने सरल हैं कि अपने कपड़े तक खुद धो लेते हैं। 1993 में मसाको से विवाह किया। उनकी एक बेटी है प्रिंसेज आइको, जो महिला होने के कारण सिंहासन की उत्तराधिकारी नहीं है। इसलिए नारूहितो के छोटे भाई फुमिहितो अकिशिनो (53) अगले क्राउन प्रिंस हैं। अकिशिनो के बाद उनके बेटे हिसाहितो उत्तराधिकारी होंगे।
प्रोस्टेट कैंसर और हार्ट सर्जरी के कारण 85 वर्षीय सम्राट अकिहितो ने 2016 में पद छोडऩे की घोषणा की थी। चूंकि द्वितीय विश्वयुद्ध में सम्राट की शक्तियां प्रतिबंधित कर दी गई थी, लिहाजा संसद को इस संबंध में प्रस्ताव पारित करना पड़ा। अकिहितो अपने पिता हिरोहितो की तरह उदार और जनता में लोकप्रिय थे। वे सामाजिक कार्यों से भी जुड़े रहे।
30 अप्रेल 2019 को नए सम्राट की घोषणा के साथ ही ‘हेसेई’ (शांति पाना) युग समाप्त हो गया। इसके बाद नए सम्राट नारूहितो के साथ नया युग ‘रीवा’ (सुंदर सद्भाव) शुरू हो गया। शाही परिवार का इतिहास : 660 ईसा पूर्व सम्राट जिममु ने जापान के शाही साम्राज्य की नींव रखी। जापान की पौराणिक मान्यता के मुताबिक जिममु सूर्यदेव अमातरासु के वंशज थे। नारूहितो जापान के १२६वें सम्राट हैं। जापान में राजा को कभी उनके नाम से नहीं बुलाया जाता, बल्कि उन्हें हिज मेजेस्टी द एम्परर ही कहा जाता है।
एकमात्र राजघराना है जो पिछले 2600 साल से लगातार राजवंश परंपरा को निभा रहा है। जापान के सम्राट को भगवान समझा जाता था, लेकिन नारूहितो के दादा सम्राट हिरोहितो ने दूसरे विश्व युद्ध में हार के बाद सार्वजनिक तौर पर कहा था कि उनके पास कोई दैवीय शक्ति नहीं है। जापान के संविधान के अनुसार सम्राट लोगों की एकता का प्रतीक होता है। यानी सम्राट राजनीति और सामान्य समारोहों से दूर रहता है। लेकिन 2011 में भूकंप और सुनामी के दौरान सम्राट अकिहितो और महारानी मिचिको ने लोगों के बीच जाकर उन्हें संभाला।