कानपुर। उत्तर प्रदेश के कानपुर से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी मंगलवार को अपना 82 वर्ष के हो गए। उनका जन्म 5 जनवरी 1934 को नैनिताल में हुआ था। वह 1991 से 1993 तक भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। वह अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्री रहे। वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक भी रहे हैं।
राजनीति में कदम मुरली मनोहर जोशी दिल्ली में आरएसएस से युवावस्था में ही जुड़ गए थे। 1953-54 में हुए गाओ बचाओ आंदोलन में हिस्सा लिया। 1955 में यूपी के कुंभ में जमीन राजस्व मूल्यांकन को लेकर हुए प्रदर्शन में भी उन्होंने हिस्सा लिया। देश में जब 1975 को आपातकाल लगा, तब जोशी 26 जून 1975 से लेकर 1977 में हुए आम चुनावों तक वह जेल में रहे। वह अल्मोड़ा से लोकसभा सांसद चुने गए। भारतीय इतिहास में जब पहली बार 1977 के आम चुनावों के बाद पहली बार केंद्र में जनता पार्टी की सरकार बनी, जिसमें जोशी की पार्टी भी शामिल थी, उन्हें जनता संसदी पार्टी का महासचिव नियुक्त किया गया। हालांकि, जनता पार्टी सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई और 1980 में कांग्रेस के फिर से सत्ता में लौटने के बाद जोशी की पार्टी जनता पार्टी से अलग हो गई। 1980 में ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अस्तित्व में आई।
भाजपा के गठन के बाद जोशी को पहले महासचिव बनाया गया और फिर बाद में कोषाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई। भाजपा महासचिव रहते हुए उन्हें बिहार, बंगाल और उत्तर-पूर्व राज्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई। बाद में जब अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में भाजपा ने सरकार बनाई तो मानव संसाधन विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई। जोशी इलाहाबाद से तीन बार सांसद रहे थे, लेकिन 2004 के आम चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़। 15वीं लोकसभा के लिए वह वाराणसी से चुने गए। 1996 में वाजपेयी की 13 दिनों की सरकार में वह गृह मंत्री भी रहे।
जोशी वाराणसी से सांसद थे, लेकिन 2014 के आम चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यहां से चुनाव लडऩे के चलते उन्हें कानपुर से टिकट दिया गया। यहां से वह 2.23 लाख मतों से जीतने में कामयाब रहे।