ये था पूरा मामला यूपी के 20 बदमाश 12 मई को मिनी ट्रक व कार से इमलिया गांव के गंगाराम का पुरा में किसान सियाराम पुत्र महाराज सिंह गुर्जर के यहां पहुंचे। बदमाशों ने व्यापारी बनकर किसान से गेंहू का 2300 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से 60 क्विंटल गेंहू का सौदा किया। बदमाशों ने किसान व उसकी पत्नी को कुछ सुंघा दिया। उसके बाद किसान दंपत्ति कुछ समझ पाते तब तक बदमाश मिनी ट्रक में लोढ कर गेंंहू ले गए। बदमाशों के जाने के बाद किसान सचेत हुआ तब पता चला तो किसान सक्रिय हुआ और उसने परिवार के लोगों को एकत्रित कर मोबाइल नंबर के सहारे बदमाशों का पीछा किया तो करुआ गांव में किसी अन्य किसान से गेंहू तुलवाने गए थे, वहां से किसान ने बदमाशों को पुलिस से पकड़वा दिया।
कहां गया गेंहू से भरा मिनी ट्रक ?
किसान के अनुसार मौके पर गेंहू से भरा मिनी ट्रक रखा था। पुलिस ने किसान से कह दिया था कि तुम थाने चलो, हम ट्रक को लेकर हम पीछे आते हैं। लेकिन गेंहू से भरा ट्रक थाने नहीं पहुंचा। पुलिस बदमाशों को पकडकऱ स्टेशन रोड थाने लेकर जरूर पहुंची और थाना परिसर में बदमाशों से किसान को पैसे दिलवाकर राजीनामा करवा दिया। किसान संतुष्ट नहीं था लेकिन उससे यह कहकर चलता कर दिया कि कुछ नहीं से कुछ तो भला है।
बदमाशों से पूछताछ होती तो और भी अपराधों की खुल सकती थी परत स्टेशन रोड थाना पुलिस अगर बदमाशों से कड़ाई से पूछताछ करती तो और भी मामलों की परत खुल सकती थी। यूपी के बदमाश म प्र में और कहां- कहां अपराधों को अंजाम दे चुके हैं, इसकी जानकारी कलेक्ट न करते हुए पुलिस ने ससम्मान उनको थाने से घर के लिए रवाना कर दिया। इसको लेकर पुलिस विभाग की काफी किरकिरी हो रही है। स्टेशन रोड का यह पहला मामला नहीं हैं, इससे पूर्व चावल से भरा ट्रक छोडऩे क ेमामले में भी थाना पुलिस काफी चर्चा में रही।
किसान सक्रिय नहीं होते तो और वारदातों को अंजाम देकर भाग जाते बदमाश इमलिया के किसान सक्रिय नहीं होते तो यूपी का गिरोह करुआ गांव सहित अन्य किसानों के यहां से भी गेंहू, सरसों की खरीद के नाम पर ठगी की वारदात को अंजाम देकर भाग जाते। किसान सियाराम गुर्जर का कहना हैं कि पुलिस की बदमाशों से सांठगांठ के चलते मुझे करीब 35 से 40 हजार की क्षति हुई है। क्योंकि मेरी 2300 रुपए क्विंटल के हिसाब से गेंहू खरीद की तय हुई थी और बदमाश पकडऩे पर पुलिस मुझे 2100 रुपए क्विंटल के भाव से रुपए दिलवाए। अगर पुलिस प्रयास करती तो मुझे पूरे पैसे मिल जाते और अन्य वारदातों का भी खुलासा हो सकता था। जो काम पुलिस को करना चाहिए था, वह इमलिया के किसानों ने किया लेकिन पुलिस द्वारा यूपी के बदमाशों को पकडऩे के बाद छोडऩे से पुलिस की छबि धूमिल हुई है। खास बात यह है कि पुलिस अपना टारगेट पूरा करने राह चलते किसी को पकडकऱ 151 मेंं बंद कर देती, फिर भले ही सामने वाली पृष्ठभूमि अपराधिक रही हो या नहीं लेकिन अपराधियों को थाने से छोडऩा लोगों के गले नहीं उतर रही है।
कथन
- बिना कार्रवाई के थाने से अपराधियों को छोडऩा गंभीर मामला है। जांच की जा रही है। थाना प्रभारी से जवाब मांगा है।
राकेश गुप्ता,सीएसपी, मुरैना