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उम्मीद-ए-2018 : विकास के कैनवास पर ये अठारह रंग

नई सुबह, नए संकल्प, नए सपने और नई उम्मीदें। यही आबोहवा में तैर रहा है कैसा हो नया साल इसी को संवारने में जुटी है कोचिंग नगरी।

Jan 01, 2018 / 02:16 pm

shailendra tiwari

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कोटा को स्मार्ट शहर बनाने की दिशा में काम शुरू हो गया है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में 732 करोड़ रुपए के विकास कार्य होंगे। सड़कें भी स्मार्ट बनाई जाएंगी। पानी, बिजली, सीवरेज और सौंदर्यीकरण के काम होंगे। रानपुर में स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट पर काम शुरू होने की संभावना है।

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सुपर स्पेशलिटी विंग मेडिकल कॉलेज में बन रही विंग पर केन्द्र व राज्य सरकार 150 करोड़ रुपए खर्च कर रही हैं। इसमें 90 करोड़ केन्द्र सरकार व 60 करोड़ राज्य सरकार के हैं। कार्य मई 2016 में शुरू हुआ था, सितम्बर 2017 में पूरा होना था, लेकिन अब मार्च तक पूर्ण होने की उम्मीद है। इसमें नेफ्रोलॉजी, न्यूरोलॉजी, न्यूरो सर्जरी, गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी, पीडियाट्रिक सर्जरी, यूरोलॉजी, कॉर्डियोलॉजी, कार्डियोथोरेसिक सर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी की सुविधाएं होंगी। विंग 260 बेड की होगी। 180 बेड जनरल होंगे, वहीं 60 बेड आईसीयू होंगे। 250 बड़े वाहन खड़ा करने की जगह होगी।

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कोटा को स्मार्ट शहर बनाने की दिशा में काम शुरू हो गया है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में 732 करोड़ रुपए के विकास कार्य होंगे। सड़कें भी स्मार्ट बनाई जाएंगी। पानी, बिजली, सीवरेज और सौंदर्यीकरण के काम होंगे। रानपुर में स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट पर काम शुरू होने की संभावना है।

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चंबल पार करने के लिए एक और उच्च स्तरीय पुल की सौगात मिलना तय है। कोटा बैराज के समान्तर पुल की लम्बाई 1200 मीटर है। यह दो लेन बन रहा है। काफी काम हो चुका है। लागत 58.35 करोड़ है। इस पुल पर आवागमन शुरू होने पर छह लाख लोग लाभान्वित होंगे।

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नए साल के शुरू में ही मुकुन्दरा हिल्स टागइर रिजर्व में आखिर बाघ की दहाड़ गूंजने वाली है। करीब चार वर्ष पहले सरकार ने मुकुन्दरा हिल्स को टागइर रिजर्व घोषित किया। यहां दो बाघ व एक बाघिन को लाकर बसाया जाएगा। लोगों को इसका खासा इंतजार है।

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करीब 30 साल से कागजों में दौड़े अभेड़ा बायोलॉजिकल पार्क मिलने का भरोसा शहर को है। केन्द्रीय चिडिय़ाघर प्राधिकारण ने हाल ही पार्क व ट्रेंचिंग ग्राउंड और पार्क के बीच ग्रीन वाल बनाने की शर्त पर इसके निर्माण की स्वीकृति दे दी है। यहां पौधारोपण कर ग्रीन वाल बनाने का कार्य शुरू हो गया है। उम्मीद है कि यह 2018 में बनकर तैयार हो जाएगा।

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केन्द्रीय शहरी मंत्रालय की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर होनी वाली स्वच्छता सर्वेक्षण रैंकिंग पर भी शहरवासियों की नजर रहेगी। जनवरी माह में केन्द्रीय दल सर्वेक्षण को कोटा आएगा और स्वच्छता परखेगा। पिछले तीन साल से स्वच्छता में पिछड़ रहे कोटा को इस बार रैंकिंग में सुधार की उम्मीद है। निगम और सामाजिक संगठन दमखम लगाए हुए हैं।

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झालीपुरा से गांवड़ी गामछ तक दो लेन में 14.2 किलोमीटर का यह बाइपास नए साल में शहर को मिलने की उम्मीद है। इसमें चम्बल नदी और चंद्रलोई नदी पर उच्च स्तरीय पुल होंगे, वहीं गामछ और झालीपुरा पर आरओबी। पूरे प्रोजेक्ट पर 175 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। शहर लम्बे समय से इस प्रोजेक्ट की उम्मीद लगाए बैठा है। नए साल में इसकी सौगात तय मानी जा रही है।

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स्मार्ट सिटी सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्रोग्राम के तहत कोटा में स्लरी से टाइल्स बनाने का प्लांट स्थापित होगा। स्लरी से टाइल्स और पेवर ब्लॉक बनाने की तकनीकी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मुहैया कराएगा। मशीनरी और भवन निर्माण पर आने वाला करीब 50 लाख का खर्च नगर निगम वहन करेगा। रीको स्लरी डंपिंग यार्ड में जमीन देगा। प्लांट का संचालन 50 महिलाओं का स्वयं सहायता समूह करेगा।

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कोटा ट्रिपल आईटी 6 साल बाद जयपुर से अपने घर आएगी। कोटा में ही कक्षाएं लगेंगी। अभी तक राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) जयपुर में संचालित हो रही। आवंटित 100 एकड़ जमीन पर भवन निर्माण शुरू नहीं हुआ। अब सरकार ने नई बिल्डिंग तैयार होने तक किसी खाली इमारत में कक्षाएं चलाने को कहा है। आईएल कैंपस समेत कुछ जगह चिन्हित भी हो गई।

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मई में कोटा में हुए एग्रीटेक मीट में 1067 करोड़ के 22 एमओयू हुए। इनमें से एग्रो बेस इंडस्ट्री के लिए 633.28 करोड़ के एमओयू हाड़ौती के लिए थे। रानपुर में सोया प्लांट, कोटा में लहसुन प्रोसेस प्लांट, मसाला मंडी, बूंदी में राइस कलस्टर, वेयर हाउसिंग, फूड प्रोसेसिंग प्लांट, निजी मंडी यार्ड आदि के एमओयू शामिल हैं। एमओयू धरती पर उतरें, इसका भी शहरवासी इंतजार कर रहे हैं।

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