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धनिए की फसल से महकता है राजस्थान

धनिए की खेती विशेष तौर से राजस्थान में अधिक की जाती है और राजस्थान का भी करीब 95 फीसदी धनिया कोटा संभाग में पैदा होता है। धनिए का सबसे ज्यादा उत्पादन कोटा, बूंदी, बारां एवं झालावाड़ में होता है। यहां अधिक ऑयल कंटेंट वाली धनिए की नई किस्म उत्पन्न करने के भरपूर अवसर उपलब्ध हैं। इसके अलावा मध्य प्रदेश, आसाम और गुजरात में भी इसकी खेती की जाती है।

Sep 15, 2022 / 10:46 am

कंचन अरोडा

धनिए की फसल से महकता है राजस्थान

धनिए की फसल से महकता है राजस्थान

दोमट मिट्टी में अधिक पैदावार
धनिए की खेती के लिए मिट्टी की कई किस्में उपयुक्त हैं, लेकिन अच्छे निकास वाली दोमट मिट्टी ज्यादा उपयोगी रहती है। इसके अलावा मटियार या कछारी भूमि, जिसमें अच्छी जल धारण की क्षमता हो, उपयुक्त होती है। खेत में जल निकास की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए। मिट्टी का पीएच आठ से दस होना चाहिए।
बिजाई का समय
धनिए की फसल की बुवाई के लिए अक्टुंबर से नवंबर तक का उचित समय रहता है। अधिक तापमान रहने पर अंकुरण कम हो सकता है। इसलिए बुवाई का निर्णय तापमान देख कर लेना चाहिए। कतार से कतार का फासला 30 सेमी. और पौधे से पौधे का फासला 15 सेमी. रखना चाहिए। बीज की गहराई तीन सेमी. से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। बिजाई के लिए आठ से 10 किलो बीज प्रति एकड़ प्रयोग करने चाहिए। जुताई से पहले गोबर की खाद मिलाएं। धनिया की सिंचित फसल के लिए 5.5 मीटर की क्यारियां बना लें, जिससे पानी देने में और निराई-गुड़ाई का काम करने में आसानी होती है।

बीजों को उपचारित कर बोएं
बुवाई से पहले दाने को दो भागों में तोड़ देना चाहिए। ऐसा करते समय ध्यान रखें अंकुरण भाग नष्ट न होने पाए। अच्छे अंकुरण के लिए बीज को 12 से 24 घंटे पानी में भिगो कर हल्का सूखने पर बीज उपचार करके बोएं। मिट्टी में नमी की मौजूदगी के अनुसार सिंचाई करनी चाहिए। बीजों को बोने के बाद तुरंत पहली सिंचाई करें। 10 से 12 दिनों के अंतराल पर लगातार सिंचाई करें।
निराई-गुड़ाई
धनिए की अच्छी फसल के लिए निराई-गुड़ाई करके खरपतवारों को निकाल देना चाहिए। सामान्यत: धनिए में दो निराई-गुड़ाई पर्याप्त होती है। पहली निराई-गुड़ाई के 30 से 35 दिन में व दूसरी 60 दिन के अंतराल में कर देनी चाहिए। इससे पौधों में बढ़वार अच्छी होने के साथ-साथ बचे हुए खरपतवार भी नष्ट हो जाते हैं और उपज पर अच्छा प्रभाव पड़ता हैं।
फसल की कटाई
फसल की 20 से 25 सेमी. ऊंचाई होने पर हरे पत्तों को काटना शुरू कर देना चाहिए। एक फसल को तीन से चार बार काटा जा सकता है। बीज की पैदावार के लिए बीजी गई फसल अप्रैल महीने में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। फसल के फल हरे रंग में ही काट लेने चाहिए क्योंकि ज्यादा पकने की स्थिति में इसका पूरा मूल्य नहीं मिल पाता।

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