कलेक्टर साहब! मुरैना में दर्जनों निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतारने वालों पर कार्रवाई होगी या फिर बैठकों में ही जारी होते रहेंगे निर्देश
– बेखौफ खनन माफिया: आइपीएस, डिप्टी रेंजर व दो आरक्षक समेत कई लोगों को कुचला, फिर भी नहीं लगा अंकुश
– राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते माफिया मजबूत, प्रशासन नहीं कर पा रहा बड़ी कार्रवाई
– टी आई पर हमले के बाद भी रेत व पत्थर की ट्रॉली दौड़ती रही सडक़ों पर, रेत का सबसे अधिक परिवहन सरायछौला थाना क्षेत्र से
– रेत व पत्थर माफिया के खिलाफ कार्रवाई को लेकर कमिश्नर व कलेक्टर बैठकों में कई बार जारी कर चुके हैं निर्देश लेकिन नहीं हुआ अमल
मुरैना. खनन माफिया आइपीएस, दो पुलिस आरक्षक, डिप्टी रेंजर और वन आरक्षक को कुचलकर मौत के घाट उतार चुका है फिर भी प्रशासन माफिया पर अंकुश नहीं लगा सका है। पत्थर के अवैध उत्खनन सहित चंबल नदी से दिन-रात रेत का अवैध उत्खनन और सडक़ों पर परिवहन हो रहा है लेकिन प्रशासन सख्ती नहीं बरत सका, कार्रवाई तो होती है लेकिन जिस स्तर की कार्रवाई होना चाहिए, उस स्तर की न होकर सिर्फ औपचारिक होती है। उसी का परिणाम हैं कि मुरैना में माफिया हावी है। वहीं सिविल लाइन टी आई पर हमले के बाद भी रेत व पत्थर की ट्रॉलियोंं सडक़ों पर दौड़ती नजर आईं। सबसे अधिक रेत का परिवहन इन दिनों सरायछौला थाना क्षेत्र से ही हो रहा है। मुरैना की जनता ने कलेक्टर मुरैना से एक सवाल किया है कि आखिर इन निर्दोषों को कुचलकर मारने वालों पर कार्रवाई कब होगी। रेत माफिया के खिलाफ कार्रवाई को लेकर चंबल संभाग कमिश्नर व कलेक्टर समय समय पर संभाग, जिला टास्क फोर्स समिति की बैठक में कार्रवाई को लेकर सीसीटीवी कैमरा लगाने, नाके स्थापित करने की बात भी कर चुके हैं लेकिन रेत पर सख्ती के आदेश सिर्फ बैठकों तक ही सीमित रहे, धरातल पर कार्रवाई को लेकर जो सख्ती होना चाहिए, वह नहीं हो सकी। वर्ष 2012 में आइपीएस नरेन्द्र कुमार की हत्या के बाद प्रशासन माफिया पर नकेल कसता तो पुलिस आरक्षक, डिप्टी रेंजर व वन आरक्षक सहित उन दर्जनों लोगों की जान बचाई जा सकती थी, जिनको माफिया ने कुचलकर मौत के घाट उतार दिया। बेअसर रहे मुख्य सचिव की निर्देश प्रदेश में डॉ. मोहन यादव सरकार के गठन के दूसरे दिन ही मुख्य सचिव वीरा राणा ने वीडियो कॉन्फें्रसिंग के जरिए खनन माफिया के कार्रवाई के सख्त निर्देश दिए थे। खासकर चंबल नदी से रेत का उत्खनन व परिवहन हर हाल में बंद होना चाहिए। बैठक में भिंड, श्योपुर व मुरैना कलेक्टर मौजूद थे। मुरैना में सिर्फ पुलिस ने कुछ कार्रवाई की हैं लेकिन प्रशासन स्तर पर कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई है। राजनैतिक संरक्षण होने से नहीं रुक रहा अवैध उत्खनन पत्थर व रेत माफिया को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है इसलिए प्रोपर बड़ी कार्रवाई नहीं हो पा रही है। लोकसभा चुनाव के दौरान म प्र शासन के कृषि मंत्री ऐंदल सिंह कंषाना का वीडियो वायरल हुआ था, उसमें उन्होंने स्पष्ट कहा था कि चुनाव के बाद किसी का भी रेत व पत्थर से भरा ट्रैक्टर- ट्रॉली नहीं पकड़ा जाएगा और पकड़ भी लिया तो तुरंत छोड़ा जाएगा। इसके बाद माफिया के हौंसले और बुलंद हो गए हैं। उसके बाद खुलेआम हाइवे पर रेत की मंडी लगाई जा रही हैं, दर्जनों ट्रैक्टर- ट्रॉली पत्थर व रेत से भरे हुए शहर में दौड़ते नजर आ रहे हैं। टी आई पर हमले के बाद भी प्रशासन गहरी नींद में माफिया द्वारा टी आई पर हमला किया, उसके दूसरे दिन भी प्रशासन गहरी नींद में सोया हुआ है। न तो पुलिस और न प्रशासन ने रेत व पत्थर माफिया के खिलाफ कोई कार्रवाई की। रेत व पत्थरों के भरे ट्रैक्टर- ट्रॉली सरेआम सडक़ों पर दौड़ते नजर आ रहे हैं। माफिया पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों को खुलेआम चुनौती दे रहा है लेकिन अधिकारियों द्वारा कार्रवाई करना तो दूर अपने चेंबरों से ही नहीं निकले। राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते जिल के कुछ अधिकारी तो अपनी नोकरी बचाते नजर आ रहे हैं। उनको ऐसा लगता है कि अगर माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तो हमारा ट्रांसफर न हो जाए, इसलिए कुर्सी से चिपककर बैठे हैं। माफिया द्वारा अब तक की गई प्रमुख घटनाएं
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