बायोमार्कर जांच ने बताई शतायु जीवन की संभावनाएं: स्वीडन में कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों नें सूजन, मेटाबॉलिज्म, लिवर, किडनी के कार्य और संभावित एनीमिया व कुपोषण से संबंधित 12 रक्त-आधारित बायोमार्कर की जांच की ताकि समझा जा सके कि लंबे जीवन में क्या योगदान देता है। वैज्ञानिकों ने पाया कि जो लोग 100 वर्ष तक जीवित रहे उनमें 60 के दशक से ग्लूकोज, क्रिएटिनिन और यूरिक एसिड का स्तर कम होने लगा था। पाया गया कि सबसे कम यूरिक एसिड स्तर वाले प्रतिभागियों की शतायु तक पहुंचने की संभावना चार प्रतिशत अधिक थी, जबकि अधिकता वाले प्रतिभागियों की केवल 1.5 प्रतिशत ही उम्मीद थी।
तीन दशकों में चीन में होंगे सर्वाधिक शतवर्षीय : संयुक्त राष्ट्र के अनुसार दुनिया अनुमानित 7,22,000 शताब्दीवासियों का घर है। 2024 में सर्वाधिक शतायु लोग जापान, अमरीका, चीन, भारत और थाईलैंड में होंगे। जापान में प्रत्येक 10,000 लोगों पर लगभग 12 शतायु हैं, थाईलैंड में 10,000 पर पांच और अमरीका में तीन। इसकी तुलना चीन और भारत से करने पर यह आंकड़ा एक से भी कम है क्योंकि यहां बड़ी आबादी फिलहाल युवा है। जबकि तीन दशकों में चीन में शतायु लोगों का सबसे बड़ा हिस्सा होगा। इसके बाद अमरीका, भारत, जापान और थाईलैंड होंगे।
अमरीका में पुरुषों से ज्यादा महिलाएं शतायु: जनवरी 2024 तक अमरीका में 1,01,000 शतायु लोगों के होने का अनुमान है और प्यू रिसर्च सेंटर के शोध से संकेत मिलता है कि 30 वर्षों में यह आंकड़ा 4,22,000 हो जाएगा। शतायु लोगों की संख्या वर्तमान में कुल अमरीकी आबादी का केवल 0.03 प्रतिशत है और 2054 में उनके 0.1 फीसदी तक पहुंचने की उम्मीद है। अमरीका में चिरायु जीने के मामले में पुरुषों की तुलना में महिलाओं की तादाद अधिक है और निकट भविष्य में भी स्थिति यही रहने वाली है।
शतायु आबादी वाले पांच प्रमुख देश (2024)